दुनिया के लिए खतरा बना किम जोंग उन, जानें क्या है उत्तर कोरिया की ताकत
उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम 1987 से शुरू होता है। पिछले 30 साल में उसका मिसाइल कार्यक्रम इतना घातक रुख अख्तियार कर चुका है कि वह अब सारी दुनिया के लिए खतरा बन गया है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। चेतावनियों की उसने आज तक कभी परवाह नहीं की। अगर परवाह की होती तो फिर एक के बाद एक छह परमाणु परीक्षण करने का दुस्साहस वह नहीं दिखाया। पिछले दिनों उसने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-15 का परीक्षण करके अमेरिका को एक बार फिर आंख दिखाई। जी हां, हम उत्तर कोरिया की ही बात कर रहे हैं। आज हम उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम के विभिन्न पड़ावों और वहां के तानाशाह किम जोंग उन के उन निशानों के बारे में बताएंगे, जिन पर वह हमला कर सकता है। पहले जान लें सनकी तानाशाह की सनक का यह उदाहरण...
340 लोगों की हत्या करवा चुका है किम
सत्ता में आने के बाद से ही किम जोंग उन और ज्यादा ताकत जुटाने की कोशिश में है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान से उसकी दुश्मनी जग-जाहिर है। लेकिन उसे अपने देश में भी जब लगता है कि कोई व्यक्ति उसकी सत्ता के लिए चुनौती बन सकता है तो वह उस व्यक्ति को मौत के घाट उतार देता है। सत्ता में आने के बाद से अब तक वह कम से कम 340 लोगों की हत्या करवा चुका है। यह दावा दक्षिण कोरिया के एक थिंक टैंक का है।
उत्तर कोरिया का दावा है कि ह्वासोंग-15 की जद में पूरा अमेरिका है। यह मिसाइल अधिक विस्फोटक के साथ 13 हजार किमी की दूरी तय सकती है। इस परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया कई देशों के लिए खतरा बन गया है।
यह भी पढ़ें: EXCLUSIVE- कोरिया पहुंच दैनिक जागरण ने जाना क्या सोचती है वहां की जनता
उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम
उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम 1987 से शुरू होता है। पिछले 30 साल में उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम इतना घातक रुख अख्तियार कर चुका है कि वह अब सारी दुनिया के लिए खतरा बन गया है। आइए एक नजर डालते हैं उसके परमाणु कार्यक्रम के विस्तार पर...
- 1987-92: इस दौरान उसने स्कड-सी (मारक क्षमता पांच सौ किमी) जैसी मिसाइल, रोडोंग-1 (1300 किमी), ताइपोडोंग-1 (2500 किमी), मुसुदन-1 (3000 किमी) और ताइपोडोंग-2 (6700 किमी) का निर्माण शुरू किया।
- 1998: जापान के ऊपर से ताइपोडोंग-1 का परीक्षण किया।
- 9 मार्च, 2016: थर्मो न्यूक्लियर वारहेड को लघु रूप में निर्मित किए जाने की घोषणा।
- 23 अप्रैल, 2016: पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।
- तीन अगस्त, 2016: जापान के समुद्री क्षेत्र में पहली बार सीधी बैलिस्टिक मिसाइल दागी।
उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण
पहला परीक्षण: नौ अक्टूबर, 2006 को उत्तर कोरिया ने पहला परमाणु परीक्षण किया। इससे एक किलोटन से कम विस्फोटक ऊर्जा उत्पन्न। 4.3 तीव्रता का भूकंप आया।
यह भी पढ़ें: ग्राउंड रिपोर्ट- हॉसॉन्ग मिसाइल परीक्षण के बाद दक्षिण कोरिया में दिखाई दे रही बेचैनी
दूसरा परीक्षण: 25 मई, 2009 को दूसरे परीक्षण में 2.35 किलोटन की विस्फोटक ऊर्जा निकली और 4.7 तीव्रता का भूकंप आया।
तीसरा परीक्षण: 12 फरवरी, 2013 को तीसरे परीक्षण में 16 किलोटन विस्फोटक ऊर्जा निकली। 5.1 तीव्रता का भूकंप आया।
चौथा परीक्षण: छह जनवरी, 2016 को चौथे परीक्षण से 15.5 किलोटन विस्फोटक ऊर्जा निकली। इसे हाइड्रोजन बम बताया। 5.1 तीव्रता का भूकंप आया।
पांचवां परीक्षण: नौ सितंबर, 2016 को पांचवें परीक्षण में 30 किलोटन तक विस्फोटक ऊर्जा निकली। 5.3 तीव्रता का भूकंप आया।
छठा परीक्षण: तीन सितंबर, 2017 को हाइड्रोजन बम का परीक्षण। 50 किलोटन ऊर्जा निकली। 6.3 तीव्रता का भूकंप आया।
2017 में बनाई अमेरिका तक पहुंच
14 मई: जापान सागर में ह्वासोंग-12 मिसाइल गिराई। सात सौ किमी दूरी तय की।
4 जुलाई: ह्वासोंग-14 दागी। अमेरिका के अलास्का तक पहुंच का दावा।
28 जुलाई: दस हजार किमी की दूरी तक मार करने वाली केएन-14 का परीक्षण
29 अगस्त: जापान के ऊपर से छह हजार किमी तक वार करने वाली ह्वासोंग-12 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।
15 सितंबर: ह्वासोंग-12 का परीक्षण किया।
इन 15 ठिकानों पर परमाणु हमला कर सकता है उत्तर कोरिया
अमेरिका और दक्षिण कोरिया पर हमले की धमकी देने वाले उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की नजरें विश्व के 15 ऐसे ठिकानों पर हैं, जहां वह परमाणु हमला कर सकता है। यह दावा यूरोपीय थिंकटैंक यूरोपियन कमीशन ऑफ फॉरेन रिलेशंस ने अपनी रिपोर्ट में किया है। उसके अनुसार उत्तर कोरिया वाशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस व पेंटागन के अलावा अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया में मौजूद सरकारी इमारतों और सैन्य ठिकानों पर परमाणु हमला करके उन्हें तबाह कर सकता है।
किम की नजरों में हैं ये अहम ठिकाने
- वाशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस और पेंटागन जैसी सरकारी व प्रमुख इमारतें।
- न्यूयॉर्क और मैनहैटन जैसे बड़े शहर।
- गुआम और हवाई द्वीप के साथ ही पूरे एशियाप्रशांत क्षेत्र में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संचालित विमानवाहक युद्धपोत।
- दक्षिण कोरिया का राष्ट्रपति निवास ब्लू हाउस और प्रमुख अस्पताल।
- दक्षिण कोरिया के बुसान, गुंसान, ओसान में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने।
- दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल समेत प्योंगटेक, जुंगवॉन, डेगू, ग्येरियांगडे शहर।
- जापान में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने।
- ओकिनावा, योकोसुका, मिसावा, टोक्यो, ओसाका, योकोहामा, नगाया और क्योटो शहर और द्वीप भी हैं निशाने पर।
शायद यही कारण है कि दक्षिण कोरिया और जापान इस सनकी तानाशाह की हरकतों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और डरे हुए भी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी बार-बार किम को चेतावनी दे चुके हैं कि उसकी किसी भी उकसावेपूर्ण कार्रवाई का असर यह होगा कि उत्तर कोरिया नक्शे से मिट जाएगा। उत्तर कोरिया के खतरे को भांपते हुए ही अमेरिका ने 8 जुलाई, 2016 को दक्षिण कोरिया में एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम थाड लगाने की घोषणा की थी।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों ने किम जोंग उन के गद्दी संभालने के बाद से अब तक उत्तर कोरिया की मीडिया में चल रही रिपोर्टों और वहां मौजूद सूत्रों के हवाले से 15 ठिकानों की सूची तैयार की है। इसमें उन मिसाइलों का अध्ययन भी शामिल किया गया है, जिनके दम पर किम अमेरिका को हमले की धमकी देता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि परमाणु हमले की धमकी देने वाला किम जोंग उन तभी ऐसे हमले कर सकता है जब उसे अपने देश पर खतरा मंडराने का अंदेशा होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।