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    अगर यहां रहा तो काबुल के 60 लाख लोगों को तालिबान की क्रूरता का शिकार होना होगा, इसलिए मेरा जाना जरूरी है: अशरफ गनी, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 16 Aug 2021 02:26 PM (IST)

    राष्‍ट्रपति अशरफ गनी के यूं देश छोड़कर चले जाने की स्‍थानीय स्‍तर पर काफी आलोचना हो रही है। साथ ही अमेरिका को लेकर भी अफगान नागरिकों में गुस्‍सा है। ऐसे लोगों का कहना है कि गनी ने देशवासियों को धोखा दिया है।

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    अशरफ गनी ने छोड़ा देश, पहुंचे है तजाखिस्‍तान

    काबुल (रायटर्स/एएनआई)। अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल पर कब्‍जे से पहले ही राष्‍ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर कहीं चले गए हैं। वो कहां गए हैं इसको लेकर फिलहाल स्‍पष्‍ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है। रायटर्स ने पहले उनके तजाकिस्‍तान जाने की खबर दी थी। लेकिन बाद में रायटर्स ने ही अलजजीरा के हवाले से गनी के उज्बेकिस्‍तान जाने की जानकारी दी है। इसकी वजह से राजनीतिक गलियारों में उनकी आलोचना भी हो रही है। हालांकि, उन्‍होंने सोशल मीडिया के माध्‍यम से अपने इस कदम को लेकर सफाई भी दी है। इस घटना के कुछ घंटों के बाद तालिबान ने काबुल स्थित राष्‍ट्रपति निवास को भी अपने कब्‍जे में ले लिया है। 

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    देश छोड़ने पर राष्‍ट्रपति गनी की सफाई

    राष्‍ट्रपति गनी ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताया है कि उन्‍होंने ये कदम रक्‍तपात से बचने के लिए उठाया है। उन्‍होंने लिखा है कि उनके लिए ये कदम उठाना बेहद मुश्किल है। इसमें उन्‍होंने आगे लिखा है कि तालिबान के आने के बाद लाखों नागरिकों की सुरक्षा दांव पर लगी है। अब तक चले युद्ध में हजारों बेगुनाह मारे जा चुके हैं। हालांकि, राष्‍ट्रपति के इस कदम की काफी आलोचना भी हो रही है। 

    अपने संदेश में उन्‍होंने लिखा है कि प्रिय देशवासियों,आज मेरे सामने एक कठिन समय आया है। मुझे या तो सशस्त्र तालिबान का सामना करना होगा जो महल में प्रवेश करना चाहते हैं या उस देश को छोड़ना होगा जहां मैंने पिछले 20 वर्षों से इसकी रक्षा और पोषण के लिए अपने जीवन को समर्पित किया है। अगर अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो अनगिनत देशभक्त शहीद हो जाएंगे और काबुल शहर तबाह हो जाएगा। इसका नतीजा ये होगा कि छह मिलियन की आबादी वाले शहर में एक बड़ी मानवीय तबाही होगी। तालिबान ने स्पष्ट कर दिया था कि वे मुझे हटाने के लिए पूरे काबुल और काबुल शरीफ के लोगों पर खूनी हमला करने के लिए तैयार हैं। रक्तपात की बाढ़ को रोकने के लिए, मैंने जाने का फैसला किया।

    तालिबान ने तलवार और बंदूक के दम पर देश को जीत लिया है, लेकिन वो यहां के लोगों के दिलों को नहीं जीत सके हैं। अब तालिबान यहां के लोगों और उनके सम्मान, संपत्ति और स्वयं की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। ये एक बेहद मुश्किल घड़ी है। लोगों के मन में डर है और भविष्‍य को लेकर वो चिंतित हैं। तालिबान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान के सभी लोगों, जातियों, विभिन्न वर्गों, बहनों और महिलाओं को समान अधिकार हासिल हों। मैं हमेशा विचारों और कार्यक्रमों के संदर्भ में अपने लोगों की सेवा करता रहूंगा। 

    अफगानिस्‍तान अमर रहे!

    गनी के कदम की आलोचना

    एएनआई ने बताया है कि देश के पूर्व संसद सदस्य जमील करजई ने राष्‍ट्रपति गनी पर देश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने ये भी कहा है कि देश के मौजूदा हालातों के लिए वही जिम्‍मेदार हैं। इसके लिए लोग उन्‍हें कभी माफ नहीं करेंगे। आपको यहांं पर ये भी बता दें कि राष्‍ट्रपति गनी ने अपने पद से इस्‍तीफा नहीं दिया है। हालांकि, अब उनके इस पद पर बने रहने के मायने भी खत्‍म हो गए हैं। जमील राष्‍ट्रपति गनी के चचेरे भाई भी हैं। 

    स्‍थानीय मीडिया के हवाले से

    टोलो न्‍यूज के मुताबिक गनी के साथ उनके करीबी सहयोगियों ने भी देश छोड़ दिया है। अफगानिस्‍तान के रक्षा मंत्री बिसमिल्‍लाह मोहम्‍मदी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि उन्‍होंने देश के हालातों से निपटने की जिम्‍मेदारी अन्‍य नेताओं को सौंप दी है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि सोमवार को एक डेलीगेशन दोहा में अफगानिस्‍तान को होने वाली वार्ता में हिस्‍सा लेने के लिए जाएगा। इसमें यूनुस कानूनी, अहमद वली मसूद, मोहम्‍मद मोहकीक शामिल हैं। टोलो न्‍यूज की मानें तो तालिबान इस बात पर राजी हो गया है कि राजनीतिक समाधान निकलने बाद गनी अपना इस्‍तीफा दे देंगे।

    हर तरफ अफरातफरी का माहौल

    राष्‍ट्रपति के देश छोड़कर जाने के बाद काबुल में अफरातफरी का माहौल है। हर तरफ तालिबान आतंकी सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। कभी राजनीतिक तौर पर गुलजार रहने वाले राष्‍ट्रपति निवास में भी अब हाथों में बंदूक लिए आतंकी दिखाई दे रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की अत्‍यधिक भीड़ जुटी है, जिसकी वजह से वहां का माहौल बेहद अफरातफरी वाला है।  

    तालिबान ने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से की वार्ता की अपील

    इस बीच तालिबान ने युद्ध के अंत की घोषणा करते हुए कहा है कि वो अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के साथ शांतिपूर्ण रिश्‍ते रखना चाहते हैं। रायटर्स ने अलजजीरा के हवाले से बताया है कि तालिबान के प्रवक्‍ता ने एक इंटरव्‍यू में कहा है कि उनका संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। तालिबान ने ये भी कहा है कि वो अलग-थलग हो कर नहीं रहना चाहता। 

    कौन बनेगा अगला राष्‍ट्रपति

    तालिबान के काबुल पर कब्‍जे के बाद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को देश का राष्‍ट्रपति घोषित किए जाने की भी चर्चा जोरों पर है। बरादर ने कुछ अन्‍य लोगों के साथ मिलकर 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि वर्ष 2001 तक देश के काफी बड़े हिस्‍से पर तालिबान का ही शासन था। लेकिन यहां पर अमेरिकी फौज के आने के बाद तालिबान काफी हद तक सिमट कर रह गया था। दो दशक के बाद एक बार फिर से तालिबान सत्‍ता पर काबिज हो रहा है। 

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