कार के स्पेयर पार्ट्स से पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने में जुटी हैं 14 से 17 साल की ये युवतियां
अफगानिस्तान में 14 से 17 वर्ष की आयु वाली युवतियां कार के स्पेयर पार्ट से पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने की कोशिश कर रही हैं। लॉकडाउन में ये पुलिस की आंखों से बचते हुए इस काम को अंजाम
काबुल। पहले आतंकवाद और अब कोरोना की मार झेल रहे अफगानिस्तान की हालत बेहद खराब है। आलम ये है कि ये देश इस महामारी से लगभग खाली हाथ ही जंग करने को मजबूर हो रहा है। यहां की आबादी 3.72 करोड़ है जबकि इंसान की जान बचाने में काम आने वाले वेंटिलेटर्स केवल 400 ही हैं। यहां पर सिर्फ वेंटिलेटर की कमी ही नहीं है बल्कि दूसरे पसर्नल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट की भी कमी है। इस कमी को देखते हुए जहां एक तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अफगानिस्तान को मदद के तौर पर पसर्नल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट मुहैया करवाए हैं वहीं दूसरी तरफ यहां की कुछ युवतियां कार के स्पेयर पार्ट से वेंटिलेटर बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसके इस प्रोजेक्ट में सोमाया फारुकी और उनकी चार दोस्त शामिल हैं।
इनका मकसद इंसानों की जान बचाना है। आपको बता दें कि यहां का हैरात प्रांत अफगानिस्तान का हॉट स्पॉट बना हुआ है। अफगानिस्तान में कोरोना वायरस के अब तक1026 मामले सामने आ चुके हैं और इसकी वजह से 36 मौत भी हो चुकी हैं। न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां पर इसके मरीजों की और इस वायरस से होने वाली मौतों की संख्या इससे अधिक हो सकती है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि अफगानिस्तान में फिलहाल लॉकडाउन है और किसी को भी सड़कों पर आने की इजाजत नहीं है। ऐसे में इन युवतियों की समस्या और चुनौती दोनों ही बढ़ गई हैं। ये युवतियां सुबह-सुबह किसी तरह से छिपते छिपाते वर्कशॉप पहुंचती हैं। पुलिस की आंखों से बचने के लिए सोमाया और उसकी चार दोस्त प्रमुख रास्तों का इस्तेमाल न करते हुए बीच के रास्तों को चुनती हैं। सोमाया उस रोबोटिक टीम की सदस्य हैं जिसको अफगानिस्तान सरकार सम्मानित कर चुकी है।
सोमाया की रोबोटिक टीम इससे पहले कम लागत से बनने वाली सांस की मशीन बना चुकी हैं। सोमाया जब 14 साल की थी तब वह 2017 में अमेरिका में आयोजित रोबोट ओलंपियाड में शामिल हुई थी। सोमाया कहती हैं कि अफगान नागरिकों को महामारी के समय में अफगानिस्तान की मदद करनी चाहिए। इसके लिए हमें किसी और का इंतजार नहीं करना चाहिए।
उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को फोन पर बताया कि वो लाइफ सेविंग मिशन पर हैं और अपने सहयोगियों के साथ कार के स्पेयर पार्ट्स से वेंटिलेटर बनाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे यहां के लोगों का जीवन बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि यदि वे अपने इस मिशन में कामयाब हो सकी और एक भी जिंदगी बचा सकीं तो उन्हें गर्व होगा।
उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में कोरोना की मार की खबर से वो और उसके साथी काफी परेशान थे। ऐसे में उन्हें ये वेंटिलेटर बनाने का विचार आया। उनकी टीम के सदस्य वेंटिलेटर के दो अलग अलग डिजाइन पर एक साथ काम कर रहे हैं। इनमें से एक का आइडिया उन्हें मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के ओपन सोर्स से मिला था। इसमें वे विंडशील्ड वाइपर की मोटर, बैट्री बैग वॉल्व का एक सेट या मैन्युअल ऑक्सीजन पंप का इस्तेमाल कर वेंटिलेटर बनाना शामिल है।
आपको हैरत होगी कि सोमाया की इस टीम में 14 से 17 वर्ष की आयु की युवतियां शामिल हैं। मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर डानिएला रुस ने इस टीम की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि इनकी मेहनत से सामने आने वाला वेंटिलेटर इंसानी जिंदगी बचाने में कितना सफल होता है। इसके अलावा इसका टेस्ट कैसे किया जाता है ये भी काफी दिलचस्प होगा।
सोमाया जिस रोबोटिक टीम का हिस्सा हैं उसकी स्थापना टेक उद्यमी रोया महबूब ने की है। वो ही इन अफगानिस्तान की इन युवतियों को सक्षम बनाने के लिए धन इकठ्ठा करती हैं। उन्हें उम्मीद है कि सोमाया की टीम प्रोटोटाइप वेंटिलेटर बनाने में मई या जून तक सफल हो जाएगी। सोमाया और उसकी टीम निश्चिततौर पर तारीफ के काबिल है। वो बताती हैं कि उनकी मां जब तीसरी कक्षा में थी तब उन्हें स्कूल जाने से रोक दिया गया। तालिबानी शासन में लड़कियों के लिए घर से बाहर निकलने पर रोक थी। वर्ष 2001 के बाद अफगानिस्तान में लड़कियां स्कूल जाने लगी। वो कहती हैं कि हम नई पीढ़ी के हैं, हम लड़ते हैं और लोगों के लिए काम करते हैं. लड़का या लड़की अब कोई मायने नहीं है।
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