किम से आर-पार की रणनीति पर काम कर रहे हैं ट्रंप, फिर बिगड़ सकते हैं हालात
ट्रंप ने हनोई में इस धारणा को पलट दिया कि वह परमाणु निरस्त्रीकरण के लिये उत्तर कोरिया से अंतरिम समझौते के इच्छुक हैं। इसके चलते माहौल खराब होने की भी ...और पढ़ें

वाशिंगटन । डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच हनोई वार्ता बेनतीजा रहने के बाद स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। इस वार्ता के बाद सेटेलाइट इमेज ने जो खुलासा पिछले दिनों किया था उसने भी हालात को कुछ नाजुक करने का ही काम किया है। सेटेलाइट इमेज से पता चला था कि उत्तर कोरिया बातचीत से इतर अपने परमाणु हथियारों की तैयारी भी जारी रखे हुए है। हालांकि इस तरह की इमेज पहली बार सामने नहीं आई है। हनोई से पहले जब सिंगापुर में इन दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी तब भी सेटेलाइट इमेज ने राजनीतिक तौर पर काफी स सुगबुगाहट मचाई थी। इन सभी के बीच ट्रंप का रुख यूं तो किम के प्रति काफी अच्छा रहा है, लेकिन अब सामने आया है कि वो अब उत्तर कोरिया के साथ आर या पार की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके चलते माहौल खराब होने की भी आशंका है।
ट्रंप ने हनोई में इस धारणा को पलट दिया कि वह परमाणु निरस्त्रीकरण के लिये उत्तर कोरिया से अंतरिम समझौते के इच्छुक हैं। ट्रंप ने दो दिन पहले ही इस बात पर जोर दिया था कि किम के साथ उनके रिश्ते अच्छे बने हुए हैं, जबकि उनके सहयोगियों ने दूसरी शिखर वार्ता के बेनतीजा रहने पर इसे खत्म करने का प्रयास किया था। पिछले हफ्ते हुई दूसरी शिखर वार्ता के दौरान प्रतिबंधों में ढील के बदले उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम बंद करने की दिशा में दोनों के बीच कोई प्रगति नहीं हुई। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है प्रशासन में कोई भी कदम-दर-कदम के रुख की वकालत नहीं करता।
विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन चाहता है कि प्रशासन के अधिकारी बिग डील करे। उनके सामूहिक नरसंहार के हथियारों को पूरी तरह नष्ट किया जाना चाहिए। इसके बदले अमेरिका उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ रियायत देगा। यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) की मेजबानी में आयोजित एक हालिया बैठक में पेंटागन के पूर्व सलाहकार फ्रैंक एअम ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन की तरफ से आर या पास का रुख अभी अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ऐसा लग रहा है कि इससे नुकसान हो रहा है जिससे किम प्रशासन बेहद खुश नहीं होगा।
आपको यहां पर बता दें कि कुछ दिन पहले ट्रंप ने यह बात साफ कर दी थी कि यदि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों का मोह नहीं छोड़ता है तो वह आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएगा। लिहाजा उसके पास में इन्हें खत्म करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। यहां पर आपको ये भी बता दें कि दो वर्ष पहले अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लागू किए थे। इसके चलते उससे व्यापार करने पर दूसरे देशों को भी चेतावनी दी गई थी। चीन का उत्तर कोरिया से करीब 80 फीसद व्यापार होता है। चीन उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
हालांकि यदि गौर करें तो दो वर्ष पहले की स्थिति में अब काफी बदलाव आ गया है। दो वर्ष पहले ये दोनों देश एक दूसरे को परमाणु हथियारों से तबाह करने की बात करते थे। वहीं अब यह दोनों न सिर्फ वार्ता के लिए एक साथ आए हैं बल्कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया भी काफी हद तक करीब आए हैं। बीते दो वर्षों में कोरियाई प्रायद्वीप में किसी भी तरह की कोई उकसाने वाली घटना का न होना भी इसका एक बड़ा उदाहरण है। इतना ही नहीं हनोई वार्ता विफल होने के बाद भी बड़ा दिल दिखाते हुए दक्षिण कोरिया के साथ होने वाला बड़ा सैन्य अभ्यास भी रद कर दिया है।

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