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    कैनेडी की हत्या का खुलेगा राज, आज तक चर्चा में हैं ये दिलचस्पल बातें

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sat, 28 Oct 2017 10:48 AM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या से जुड़ी कई थ्योरी हैं। यह इसलिए भी खास हैं क्योंकि हाल ही में उनकी हत्या से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की घोषणा हुई है।

    कैनेडी की हत्या का खुलेगा राज, आज तक चर्चा में हैं ये दिलचस्पल बातें

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्‍या से जुड़े करीब 2800 गोपनीय दस्‍तावेज जारी करने का आदेश दिया है। लेकिन इसके लिए भी एक समय सीमा तय की गई है। हालांकि इस हत्‍याकांड से जुड़े कुछ दस्‍तावेजों को सीआईए और एफबीआई के दबाव के बाद रोका गया है। 22 नवंबर 1963 को कैनेडी को टेक्सास के डैलास शहर में उस वक्‍त गोली मार दी गई थी जब वह एक ओपन कार में लोगों के बीच जा रहे थे। उस वक्‍त उनकी उम्र महज 46 वर्ष थी। कैनेडी एकमात्र ऐसे कैथोलिक राष्ट्रपति थे जिन्हे पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाज़ा गया था।

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    कैनेडी की हत्‍या ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। आज तक भी इस हत्‍या को लेकर कुछ साफ नहीं हो पाया है। हालांकि अब जबकि यह गोपनीय दस्‍तावेज सार्वजनिक होने की बात सामने आ चुकी है तो माना जा रहा है कि इससे जुड़ी कई दिलचस्‍प जानकारी जरूर सामने आएंगी। यूं तो कांग्रेस ने 1992 में ही कैनेडी की हत्‍या की जांच के लिए इससे संबंधित सभी रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था और इसके लिए आखिरी समय सीमा 26 अक्‍टूबर 2017 तय की गई थी।

    इस हत्या के लिए बंदूकधारी ली हार्वी ओसवाल्ड को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन उस पर इस हत्‍या का मुकदमा शुरू होने से पहले ही उसकी भी हत्‍या कर दी गई थी। उसके हत्‍यारे का नाम जैक रूबी था। हालांकि इस बहु‍चर्चित हत्‍या के लिए एफबीआई, वॉरेन कमीशन और हाउस सिलेक्ट कमिटी ऑन असैसिनेशन ने आधिकारिक तौर पर यह निष्कर्ष पेश किया की ऑस्वाल्ड एकमेव हत्यारा था। लेकिन इसके बावजूद भी इस निष्‍कर्ष को न तो किसी ने पूरी तरह से स्‍वीकारा और न ही खारिज किया।

    लिहाजा कैनेडी की हत्‍या को लेकर हमेशा से की कई थ्‍योरी एक साथ चलती रहीं। इसकी वजह यह भी थी कि जिस वक्‍त कैनेडी ने राष्‍ट्रपति के तौर पर दस्‍तक दी थी वह दौर पिग्स की खाड़ी का अधिग्रहण, क्यूबा प्रक्षेपास्त्र की मुश्किलें, बर्लिन की दीवार का निर्माण, अंतरिक्ष को लेकर होड़, अफ्रीकी अमेरिकी मानव अधिकारों की हलचल और वियतनाम युद्ध जैसी बड़ी घटनाओं की शुरुआत का था। इसके अलावा शीत युद्ध भी इस दौरान अपने चरम पर था।

    इस दौर में अमेरिका और रूस के बीच वाक युद्ध चरम पर था। वहीं दूसरी तरफ क्‍यूबा के मिसाइल प्रोग्राम से पूरी दुनिया चिंतित थी। ऐसे में अमेरिका ने लगातार रूस पर दबाव बना रहा था। यही वजह थी कि रूस को वहां से अपनी मिसाइल हटानी पड़ी थीं जो उसके लिए एक बड़ी हार की तरह थी। इसके बाद रूस और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। इस समय रूस के राष्ट्रपति थे निकिता क्रुसचेव। कैनेडी की हत्‍या के बाद यह बात सामने आई कि इस हत्‍या में क्रुसचेव का हाथ हो सकता है। कहा यह भी गया था कि उन्‍होंने अपनी जासूसी एजेंसी केजीबी एजेंट के हाथों ये काम करवाया है। हालांकि जांच के अंत तक इस थ्‍योरी की पुष्टि नहीं हो सकी लेकिन इसको लेकर चर्चाएं भी कभी बंद नहीं हुईं।

    इसके अलावा कैनेडी की हत्‍या को लेकर दूसरी थ्‍योरी अमेरिकी खुफिया विभाग सीआईए सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी को लेकर थी। सीआईए दरअसल विदेशों में जासूसी कराती थी। इस थ्‍योरी के मुताबिक सीआईए, क्यूबा और वामपंथ को लेकर कैनेडी के रुख से नाराज थी। इसको लेकर वह कई मुद्दों पर असहमत भी थी। दरअसल, कहा ये जा रहा था कि उस वक्‍त सीआईए क्‍यूबा के कदृावर नेता फिदेल कास्त्रो को हटाने की कोशिश कर रहा था। एजेंसी ने कास्‍त्रो की हत्‍या करवाने तक का मंसूबा तैयार कर रखा था। कैनेडी की हत्या से पहले ही इस खुफिया एजेंसी का एक ऑपरेशन नाकाम हुआ था जिसे ‘बे ऑफ पिग्स इनवेशन’ कहा गया। इस ऑपरेशन के दौरान कैनेडी ने हवाई मदद देने से इंकार कर दिया था। इसके चलते इस थ्‍योरी ने जन्‍म लिया कि सीआईए ने ही कैनेडी को ठिकाने लगाया था।

    एक थ्‍योरी के मुताबिक अमेरिकी माफिया ने क्यूबा में काफी पैसा लगाया हुआ था लेकिन कास्‍त्रो के चलते उनके धंधे पर ग्रहण लग रहा था और पैसा डूबने की नौबत आ गई थी। लिहाजा कास्‍त्रो को हटाना उनके लिए बड़ी जरूरत बन गई थी। इस थ्‍योरी को तब और हवा मिली, जब सीआईए के माफिया के साथ मिलकर काम करने की जानकारी सामने आई। सरकारी दस्तावेजों से पता चला कि CIA ने कास्त्रो को हटाने के लिए सच में माफिया की मदद ली थी। हालांकि, कैनेडी की हत्या में माफिया के शामिल होने का तो कोई सबूत नहीं मिला।

    एक आखिरी थ्‍योरी के मुताबिक कास्‍त्रो के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जब देश निकाला दिया जा रहा था वह बे ऑफ पिग्‍स के नाकाम होने से काफी निराश हो गए थे। उन्‍हें इस मिशन से काफी उम्‍मीदें थीं। इसके नाकाम होने से वह कैनेडी से भी नाराज थे। इन्‍हें लगता था कि कैनेडी कास्त्रो को हटाने में पूरा ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक धारणा यह भी पनपने लगी थी कि कैनेडी के रहते कास्‍त्रो को ठिकाने लगाना संभव नहीं होगा। लिहाजा एक सीक्रेट मीटिंग में कैनेडी की हत्‍या के प्‍लान पर मुहर लगी। इसके ठीक एक माह बाद कैनेडी की हत्‍या कर दी गई थी।

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