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    हैंड ड्रायर की आवाज से बहरे हो सकते हैं आपके बच्‍चे, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 02 Jul 2019 04:52 PM (IST)

    13 वर्षीय बच्‍ची के शोध में खुलासा हुआ है कि हैंड ड्रायर से निकलने वाली आवाज से बच्‍चों के कानों पर बेहद बुरा असर पड़ता है। इससे वह बहरे तक हो सकते है ...और पढ़ें

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    हैंड ड्रायर की आवाज से बहरे हो सकते हैं आपके बच्‍चे, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    वाशिंगटन [न्‍यूयार्क टाइम्‍स]। 13 वर्षीय बच्‍ची की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है टॉयलट में लगे हैंड ड्रायर बच्‍चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। नोरा कीगन की यह रिपोर्ट केनेडियन पेडियट्रिक सोसायटी के जर्नल में छपी है। इसमें कहा गया है कि हैंड ड्रायर की तेज आवाज बच्‍चों के कानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। इनकी आवाज किसी खेल के दौरान आने वाली आवाज या फिर किसी सबवे से गुजरती ट्रेन की तरह होती है।

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    नोरा ने इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए करीब एक वर्ष तक इस पर शोध किया। इस दौरान उसने अपने होमटाउन कैलगरी में बने सैकड़ों रेस्‍टरूम में लगे हैंड ड्रायर की जांच की। नोरा के इस शोध में दो पहलू बेहद खास थे। पहला तो ये कि यह शोध उसके लिए अकादमिक के साथ-साथ निजीतौर पर भी जानकारी बढ़ाने वाला था।

    नोरा ने इस बात को करीब से ऑब्‍जर्व किया था कि हैंड ड्रायर की आवाज उसके और उसके जैसे बच्‍चों के कानों में चुभती थी। इतना ही नहीं इस शोध के दौरान उसने पाया कि इसका इस्‍तेमाल करने वाले बच्‍चे अपने कानों को किसी चीज से ढक लिया करते थे, क्‍योंकि इसकी आवाज काफी हुआ करती थी। यहीं से उसको इस पर शोध करने का ख्‍याल आया था। उसको लगता था कि यह आवाज छोटे बच्‍चों के कानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। लिहाजा उसके दिमाग में इसकी जांच करने का आइडिया आया था।

    नोरा ने अपनी शोध की शुरुआत यूं तो उस वक्‍त की थी जब वह 5वीं क्‍लास में थी। उस वक्‍त वह साइंस फेयर में शामिल करने के लिए किसी प्रोजेक्‍ट की तलाश में थी। इस प्रोजेक्‍ट पर काम करने से पहले वह कई बार अपने पेरेंट्स से हैंड ड्रायर की तेज आवाज को लेकर शिकायत कर चुकी थी। जब उसने इस पर शोध करना शुरू किया तो सबसे पहले उसने यह तलाश करने की कोशिश की कि आखिर हैंड ड्रायर बनाने वाली कंपनियां इससे निकलने वाली आवाज को मापने के लिए आती कैसे हैं।

    उसको पता चला कि कंपनियां इसको बनाते समय बच्‍चों का ध्‍यान नहीं रखती हैं। वह इस बात को भी नजरअंदाज कर जाती हैं कि इससे आने वाली आवाज का बच्‍चों पर क्‍या असर पड़ता है। इतना ही नहीं कंपनियों ने इसके लिए एक मानक तैयार किया है। इसके आधार पर हैंड ड्रायर से 18 इंच की दूरी पर वह आवाज को मापते हैं। लेकिन शोध में सामने आया है कि बच्‍चों के हाथ वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं इसके लिए उन्‍हें 18 इंच के मानक के दायरे के अंदर जाना पड़ता है। यहां पर हैंड ड्रायर से आने वाली आवाज तेज होती है। नोरा को उसके शोध के लिए सम्‍मानित भी किया गया है।  

    अपने शोध के दौरान नोरा ने उन रेस्‍टरूम में लगे हैंड ड्रायर की जांच की जहां पर बच्‍चे अक्‍सर जाया करते थे। इसमें स्‍कूल, मॉल्‍स, रेस्‍तरां शामिल थे। हर जगह से नोरा ने करीब 20 मेजरमेंट लिए। इसमें अलग-अलग दूरी पर आने वाली आवाज में अंतर था। नोरा ने शोध में पाया कि करीब 44 हैंड ड्रायर ऐसे थे जिनसे निकलने वाली आवाज 100 डेसिबल से अधिक थी। उसने यह भी पाया ड्रायर के नीचे हाथों की दिशा बदलने से भी आवाज में अंतर आता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन डीफनेस एंड अदर कम्‍यूनिकेशन डिजीज के मुताबिक ऐसी स्थिति में यदि 15 मिनट रुका जाए तो कान से सुनाई देना बंद हो सकता है। इंस्टिट्यूट के मुताबिक 110 डेसिबल की आवाज पर दो मिनट के अंदर कानों से सुनाई देना बंद हो सकता है। नोरा ने अपने शोध में हैंड ड्रायर से आने वाली आवाज को 120 डेसिबल तक मापा था। इसमें कान में दर्द और ईयर इंज्‍यूरी हो सकती है।