आइसीजे जज की दौड़ में भंडारी का ग्रीनवुड से कड़ा मुकाबला
भारत के दलवीर भंडारी को ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से कड़ी चुनौती मिल रही है। ...और पढ़ें

वाशिंगटन, प्रेट्र। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में दूसरे कार्यकाल के लिए भारत के दलवीर भंडारी को ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से कड़ी चुनौती मिल रही है। भंडारी 2012 में पहली बार आइसीजे के जज चुने गए थे। अगले दौर का मतदान सोमवार को होना है।
70 वर्षीय भंडारी और ग्रीनवुड के अलावा फ्रांस के रोनी अब्राहम, ब्राजील के एंटोनियो अगस्तो और सोमालिया के अब्दुलकावी अहमद युसूफ भी दूसरे कार्यकाल के लिए होड़ में हैं। इन सबका पहला कार्यकाल अगले साल पांच फरवरी को समाप्त होने वाला है। आइसीजे की पांच सीटों के लिए हो रहे चुनाव में लेबनान के नवाफ सलाम भी किस्मत आजमा रहे हैं।
इनमें से फ्रांस, सोमालिया, लेबनान और ब्राजील के जज गुरुवार को हुए चौथे दौर के चुनाव में निर्वाचित हो गए। इन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ। अब अंतिम सीट के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच कांटे का मुकाबला है।
चौथे दौर के मतदान में भंडारी को महासभा में 115 और ग्रीनवुड को महज 76 वोट प्राप्त हुए। वहीं 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में भंडारी (छह) के मुकाबले ग्रीनवुड (नौ) बहुमत पाने में सफल रहे। अब अगले दौर का मतदान सोमवार को निर्धारित है। आइसीजे के चुनाव नियमों के मुताबिक उम्मीदवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में बहुमत हासिल करना अनिवार्य है। इसका मतलब यह है कि आइसीजे का चुनाव जीतने के लिए 193 सदस्यीय महासभा में 97 और सुरक्षा परिषद में आठ वोट पाना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के रह चुके हैं न्यायाधीश
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से जुड़ने से पहले भंडारी भारत की विभिन्न अदालतों में 20 साल से ज्यादा समय तक कार्यरत रहे। वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहने से पहले बांबे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और दिल्ली हाई कोर्ट में जज रहे। भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले में फैसला सुनाने वाली आइसीजे की 11 सदस्यीय पीठ में भंडारी भी थे। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी। आइसीजे ने इसपर अंतरिम रोक लगाने का फैसला सुनाया था।
1945 में आइसीजे की स्थापना
आइसीजे में 15 जज होते हैं। इन्हें नौ साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ चुनाव के जरिये चुना जाता है। हेग स्थित इस अदालत की स्थापना 1945 में देशों के बीच विवादों के समाधान और कानूनी राय देने के लिए की गई।

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