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    रोहिंग्या मुसलमान को आइएसआइ, प.बंगाल व झारखंड में घुसपैठ कराने की रच रही है साजिश

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 13 Sep 2017 12:43 PM (IST)

    इसके बाद से ही म्यांमार में भीषण संघर्ष छिड़ा है और लाखों रो¨हग्या मुसलामान देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं।

    रोहिंग्या मुसलमान को आइएसआइ, प.बंगाल व झारखंड में घुसपैठ कराने की रच रही है साजिश

    पुरुलिया, [विष्णु चंद्र पाल] । भारत को अशांत करने के हर मौके की तलाश में जुटी रहनेवाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ म्यांमार में मची उथलपुथल का लाभ उठाने के लिए सक्रिय है। म्यांमार में संघर्ष से पलायन को मजबूर हो रहे रो¨हग्या मुसलमानों को आइएसआइ पश्चिम बंगाल व झारखंड में घुसपैठ कराने की साजिश रच रही है।

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    खुफिया सूत्रों को आशंका है कि आनेवाले दिनों में पश्चिम बंगाल व झारखंड में रो¨हग्या मुसलमानों की घुसपैठ बढ़ सकती है। कुछ दिनों पहले आइएसआइ के दो अधिकारी म्यामांर के राखाइन प्रदेश में भेजे गए हैं। इन दोनों राज्यों में अवैध रूप से बांग्लादेश से आनेवाले लोगों की संख्या काफी है। वहीं रोहिंग्या मुसलमानों के लिए पृथक राष्ट्र की आवाज बुलंद की जा रही है। इसके लिए आइएसआइ प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन आराकान रो¨हग्या सैलवेसन आर्मी (आरसा) को अब सामरिक सहायता दे रही है।

    आरसा के शीर्ष कमांडर हाफिज तोहार के साथ मिलकर आइएसआइ ने आका माल मुजाहिद्दीन नामक एक आत्मघाती दस्ता भी बनाया है। 24 अगस्त की रात को हाफिज तोहार के नेतृत्व में राखाइन प्रदेश में आरसा एवं आका माल मुजाहिद्दीन के कुछ चुने हुए आतंकियों ने म्यांमार पुलिस कैंप पर हमला कर 150 जवानों की हत्या कर दी थी।

    इसके बाद से ही म्यांमार में भीषण संघर्ष छिड़ा है और लाखों रो¨हग्या मुसलामान देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं। इनमें से अधिकांश के बांग्लादेश जाने की खबर है। इन्हीं में से कई भारत की ओर रुख कर चुके हैं।

    रोहिंग्या समस्या के पीछे का कारण :

    म्यांमार के राखाइन प्रदेश का पूर्व नाम अराकान प्रदेश था, जो 1666 में बंगाल के चटगांव के अंतर्गत था। 1785 में बर्मा (अब म्यांमार) की फौज ने अराकान पर कब्जा कर लिया था। तब 35 हजार रो¨हग्या मुसलमानों ने चटगांव में शरण ली थी। 1826 में ब्रिटिश फौजों ने बर्मा पर आक्रमण कर अराकान को भारत से जोड़ दिया था। तब वहां रो¨हग्या का वर्चस्व था। उनकी आवादी आठ लाख हो चुकी थी।

    बांग्लादेश में रची गई साजिश, चीन भी कर रहा मदद

    बांग्लादेश के चटगांव के पास आइएसआइ ने कुछ दिनों पहले हाफिज तोहार के साथ गुप्त बैठक की थी। इसमें आइएसआइ के ब्रिगेडियर अशफाक खान एवं मेजर सलामत खान भी शामिल थे। इसमें भारत को अशांत करने की रणनीति तय की गई। इसी के तहत आइएसआइ के दो अधिकारी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के साथ बांग्लादेश-म्यांमार के सीमावर्ती इलाकों में कुछ विद्रोही रो¨हग्या युवकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वहीं चीन भी म्यांमार में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा है।

     

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