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हथिनी ने अपने शावक को नहीं स्वीकारा

By Edited By: Published: Sat, 28 Jun 2014 09:10 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jun 2014 09:10 PM (IST)
हथिनी ने अपने शावक को नहीं स्वीकारा

संवाद सूत्र, अलीपुरद्वार : काफी कोशिश के बावजूद मादा हाथी ने अपने तीन रोज के शावक को स्वीकारने से मना कर दिया। हालांकि हथिनी ने अपने लाड़ले को देखकर उसकी ओर ममता से सूढ़ फैलाया। लेकिन बीच में एक नर दंतैल हाथी आ गया। दलपति के इस दखल से मादा अपने शावक को स्वीकार नहीं कर सकी। शुक्रवार को सारी रात जलदापाड़ा अभ्यारण्य के घने जंगल में शावक अपनी मां से मिलने के लिए उतावला था। लेकिन प्रकृति के नियमों के सामने उसे उसकी ममता नसीब नहीं हुई। विशेषज्ञों के अनुसार झुंड से बिछुड़ने के बाद हाथियों का दल शावकों को उसकी एक खास गंध के चलते स्वीकार नहीं करता। यही बात इस नन्हें हाथी शावक के साथ हुआ। आखिर में रात भर जागे शावक को जलदापाड़ा अभ्यारण्य के हलोंग स्थित सेंट्रल पिलखाना में वापस लाया गया। इस घटना से वनकर्मी अचंभित हैं।

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हाथी विशेषज्ञ बताते हैं कि हाथियों के झुंड पर आम तौर पर मादाओं का शासन चलता है। उसके बावजूद मादा अपने शावक को क्यों स्वीकार नहीं कर सकी। सनद रहे कि बीते गुरुवार की रात को जलदापाड़ा अभ्यारण्य से करीब 50 हाथियों का झुंड बस्ती इलाके में घुस आया था। उन्हें खदेड़ने के क्रम में ही इस शावक की जानकारी मिली। इस शावक को फालाकाटा क्षेत्र के राईचेंगा गांव से परित्यक्त अवस्था में लाया गया। शावक को बेंगडाकी बीट आफिस में ले जाकर उसकी देखभाल की गई। उसके बाद शुक्रवार को उसे तीन प्रशिक्षित कुन्की हाथियों की मदद से वापस उसके झुंड में लौटाने की कोशिश की गई। जब वनकर्मी कुन्की हाथियों के साथ बेंगडाकी बीट के घने जंगल में घुसे तो दूर से ही वनकर्मी नजर रख रहे थे। जलदापाड़ा पश्चिम रेंज के आफिसर रंजन तालुकदार ने बताया कि इंसान का स्पर्श मिलने के बाद हाथियों का झुंड शावक को वापस लेना नहीं चाहता है। इसीलिए पहले से शावक के शरीर में उनका मल लगा दिया गया था ताकि वह पकड़ में नहीं आ सके। अपने शावक को देखते ही मादा हाथी दूर से ही चिघ्घारी। शावक भी अपनी मां की ओर दौड़ा लेकिन उसी बीच एक विशालकाय नर दंतैल हाथी मां व शावक के बीच आ गया। इसके बाद झुंड के अन्य हाथियों ने भी शोर मचाना शुरु किया। हथिनी ने अपने शावक को एक बार सूंघा और फिर वह अन्य हाथियों के साथ घने जंगल की ओर चली गई। ऐसे समय में शावक को कुन्की हथिनी शिप्रा ने ममता का सहारा दिया। उसे अपनी सूढ़ से पकड़कर उसे हलोंग सेंट्रल पिलखाना ले गई। असम की हाथी विशेषज्ञ पार्वती बरुआ ने बताया कि आम तौर पर नवजात शावक को मादा और उसका झुंड वापस नहीं करते हैं। मादाओं के नेतृत्व वाले हाथियों के झुंड में यह घटना विरल है। शावक को उसे दूध पिलाने वाली हथिनी की जरुरत है। दंतैल नर हाथी क्यों मादा व उसके शावक के बीच आया यह भी विचारणीय है। रंजन तालुकदार ने बताया कि शावक की देखभाल के लिए जरुरी उपाय किए गए हैं।


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