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    गोरखालैंड को सड़क पर उमड़ा जन सैलाब

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    Updated: Fri, 23 Aug 2013 10:50 PM (IST)

    दार्जिलिंग/कालिम्पोंग/कर्सियांग/मिरिक, जागरण टीम : अलग राज्य की मांग के समर्थन में पहाड़ की जनता बड़ी संख्या में शुक्रवार को सड़क पर उतरी। दार्जिलिंग में आंदोलनकारियों ने सरकार के विरोध में जमकर नारे लगाए। ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में यहां पहुंचे थे। गोजमुमो और क्रामाकापा समर्थकों के पार्टी ध्वज लहराते कार्य का उत्साह देखते ही बनता था।

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    कालिम्पोंग में अलग राज्य के समर्थन में हुजूम उमड़ पड़ा। आंदोलन का अखाड़ा बने डंबर चौक पर जनसभा को संबोधित करते हुए स्थानीय विधायक डॉ. हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि राज्यपाल राज्य सरकार के सुर में सुर मिला रहे हैं। अलग राज्य के बाबत उनके बयान से पहाड़वासी सहमत नहीं हैं। राज्य सरकार पर करारा प्रहार करते हुए लेप्चा बोर्ड गठन को फूट डालने वाला बताया। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बिना राज्य से कोई बातचीत संभव नहीं है। वहीं, गोजमुमो कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध बेमियादी आहूत बंद का गोरखालैंड ज्वायंट एक्शन कमेटी ने समर्थन जताया है। एक्शन कमेटी के अध्यक्ष डॉ. एनोस दास प्रधान ने गिरफ्तारी को दमन की कार्यवाही करार दिया। कहा बंद की समीक्षात्मक बैठक 26 को करने के पक्षधर हैं। दमन से आंदोलन को रोका नहीं जा सकता। यह गोरखाओं के अस्तित्व की लड़ाई है। हमारी भावना को अभी तक की पश्चिम बंगाल की कोई सरकार नहीं समझ पाई है। यह दुखद और पीड़ादायक है। राजनीतिक कारणों में हमारी भावना से खेला जा रहा है। गोरखालैंड मामले पर यहां के रहने वाले सभी एकजुट हैं।

    कर्सियांग के मोटर स्टैंड में गोजमुमो महकमा कमेटी द्वारा आयोजित पथसभा को संबोधित करते हुए स्थानीय विधायक डॉ. रोहित शर्मा ने कहा कि बंगाल सरकार जीटीए समझौता का उल्लघंन कर अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को दबाने का प्रयास कर रही है। लेकिन, सरकार का यह प्रयास सफल नहीं होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती है कि पहाड़ और यहां रहने वालों से लगाव है, दूसरी ओर पुलिस का दमन जारी है। इससे हम डरने वाले नहीं हैं। सीआरपीएफ व आइआरबी को तैनात कर सरकार भय पैदा कर रही है। यहां की समस्या को सुलझाने की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की है, बंगाल सरकार की नहीं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल दार्जिलिंग समस्या की मध्यस्थता के लिए लिखित अनुरोध चाहते हैं। रैली में उपस्थित लोगों ने गोरखालैंड के पक्ष में व बंगाल सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उधर, शुक्रवार को भी पहाड़ बंद के दौरान यहां सन्नाटा पसरा रहा। संपूर्ण व्यवसायिक प्रतिष्ठान शैक्षिक संस्थान सरकारी, अ‌र्द्ध-सरकारी कार्यालयों में ताले लटके रहे। आवश्यक वाहनों को छोड़ अन्य वाहनों सहित ट्वाय ट्रेन का आवागमन ठप रहा। इस दौरान कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं है।

    मिरिक में भी प्रशासन के दमन नीति के खिलाफ रैली निकाली गई। गोजमुमो ने विशाल जुलूस निकाला। वी वांट गोरखालैंड, दमनकारी नीति नहीं चलेगी के नारे देर तक गूंजते रहे।

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