उत्तराखंड में पहाड़ों से ज्यादा खतरनाक हैं मैदानी रास्ते, जानिए..
हाल ही में पुलिस और लोक निर्माण विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई है कि मैदानी क्षेत्रों में सबसे अधिक दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं।
देहरादून, [विकास गुसाईं] प्रदेश में भले ही पर्वतीय मार्गों पर दुर्घटनाओं की आशंका जताई जाती है, लेकिन सच्चाई यह नहीं है। प्रदेश के मैदानी इलाकों में पर्वतीय इलाकों से ज्यादा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। हाल ही में पुलिस और लोक निर्माण विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई है कि मैदानी क्षेत्रों में सबसे अधिक दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं।
इन विभागों ने ऐसे स्थानों को चिह्नित किया है जहां तीव्र मोड़ अथवा खतरनाक चौराहों के कारण चालकों को दूसरी ओर से आने वाले वाहनों का पता नहीं चल पाता है। अब इन्हें केंद्र के सहयोग से ठीक करने की तैयारी है।
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केंद्र सरकार की ओर से देश भर में बढ़ती दुर्घटनाओं के मद्देनजर केंद्र स्तर पर राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया गया है। सड़क सुरक्षा परिषद की ओर से प्रत्येक प्रदेश में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद का गठन करने के साथ ही सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं। इसी कड़ी में प्रदेश में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों विशेषकर ब्लाइंड स्पॉट्स व ब्लाइंड कार्नर को चिह्नित करने के निर्देश दिए गए।
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पुलिस और लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए व्यापक सर्वे किया। सर्वे में सड़कों पर उन स्थानों पर विशेष ध्यान दिया गया, जहां पर चालकों की दृष्टि बाधित होने की सबसे अधिक आशंका रहती है। इसमें यह देखा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटना आशंकित क्षेत्र हैं। आश्चर्यजनक बात यह रही है कि इसमें राजधानी देहरादून में सबसे अधिक 46 स्थान ऐसे हैं जहां दुर्घटना होने की सबसे अधिक आशंका बनी हुई है।
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अब प्रदेश सरकार ऐसे स्थानों को दुरुस्त करने की तैयारी कर रही है। हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री से इस विषय पर चर्चा की थी। मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि इन स्थानों के सुधार के लिए आधी धनराशि राज्य सरकार व आधी धनराशि केंद्र सरकार वहन करेगी।
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कहां कितने दुर्घटना संभावित क्षेत्र
देहरादून----- 46
हरिद्वार---- 22
यूएस नगर--16
टिहरी---------05
पिाथैरागढ़----02
अल्मोड़ा------01
चमोली------ 01
किन मार्गों को कितने ब्लाइंड स्पॉट
एनएचएआइ--- 37
एनएच-----------37
पीडब्लूडी---------24
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