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    जंगल बचाने को दुर्गा बनीं हर्षिल की बसंती नेगी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 09 Nov 2017 09:17 PM (IST)

    उत्‍तरकाशी जिले की बसंती नेगी का हौसला ही था कि वह 1995 में जंगल बचाने के लिए माफिया से टकरा गईं। नतीजा यह हुआ कि 140 अधिकारी-कर्मचारी अवैध कटान के आरोप में सस्पेंड कर दिए गए।

    जंगल बचाने को दुर्गा बनीं हर्षिल की बसंती नेगी

    उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: 'यदि देखनी हो मेरी उड़ान, तो आसमां से कह दो कि कुछ और ऊंचा हो जाए।' यह पंक्तियां मानो हर्षिल की ग्राम प्रधान 73 वर्षीय बसंती नेगी के लिए ही गढ़ी गई हैं। यह उनका हौसला ही था कि वह 1995 में जंगल बचाने के लिए माफिया से टकरा गईं। नतीजा यह हुआ कि उत्तरकाशी में वन प्रभाग व वन निगम के 140 अधिकारी-कर्मचारी अवैध कटान के आरोप में सस्पेंड कर दिए गए। बावजूद इसके बसंती की लड़ाई थमी नहीं। इस उम्र में भी वह जंगल बचाने की मुहिम से जुड़ी हैं।

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    जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किलोमीटर दूर हर्षिल गांव की बसंती नेगी घरेलू महिला हैं, लेकिन उनकी जीवटता और दूरदर्शी सोच उन्हें सबसे अलग एवं खास बना देती है। उन्होंने कभी किताब नहीं पकड़ी, लेकिन जीवन के अनुभवों ने उन्हें पढऩे-लिखने वालों की पांत में भी विशिष्ट बना दिया।

    बसंती नेगी की जीवटता पहली बार लोगों ने 1995 में तब देखी, जब वन विभाग के ठेकेदारों ने हर्षिल घाटी में सूखे पेड़ों की आड़ में देवदार के पांच हजार से अधिक हरे पेड़ काट डाले। जंगल माफिया के खिलाफ जाने की हिम्मत कोई न जुटा सका। तब बसंती नेगी ने हिम्मत दिखाते हुए विरोध की कमान संभाली और एक भी पेड़ का स्लीपर हर्षिल से आगे नहीं जाने दिया। उनकी इस हिम्मत देखकर लोग उनसे जुड़ने लगे।

    उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी समेत वन विभाग के उच्चाधिकारियों से भी इसकी शिकायत की। यह नहीं, जब बसंती नेगी ने वन विभाग के अधिकारियों का घेराव किया तो उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए सेना तक बुलानी पड़ी। बसंती बताती हैं कि वन विभाग के अधिकारियों ने कई बार उन्हें प्रलोभन तक देने की कोशिश की, लेकिन वे उनका हौसला नहीं डिगा सके। नतीजन, उन पर सात मुकदमे दर्ज करा दिए गए। यह मुकदमे करीब सात साल तक चले। 

    आखिरकार जीत बसंती की ही हुई। इसके बाद माफिया से सांठगांठ के आरोप में दो डीएफओ समेत उत्तरकाशी वन प्रभाग व वन निगम के 140 लोग सस्पेंड कर दिए गए। इसके बाद भी बसंती नेगी गांव की महिलाओं के साथ पेड़ों की अवैध कटान के खिलाफ संघर्ष करती रही। वह कहती हैं, जब तक जीवन है, प्रकृति को संवारने के लिए लड़ती रहूंगी। इसके लिए चाहे कितनी ही बाधाओं का सामना क्यों न करना पड़े।

    ऑल वेदर रोड पर पीएम को लिखा पत्र : हाल ही में बसंती नेगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही हर्षिल घाटी में सड़क को चौड़ा किया जाए। ताकि घाटी की सुंदरता बनी रहे। विदित हो कि ऑल वेदर रोड के तहत हर्षिल घाटी में भी सड़क का चौड़ीकरण होना है। इसके लिए वहां हजारों हरे पेड़ काटे जाने हैं।

    कई उपलब्धियां बसंती के नाम : जीवटता एवं संघर्ष की मिसाल बसंती नेगी दो बार सदस्य क्षेत्र पंचायत भी रह चुकी हैं। वर्तमान में वह दूसरी बार ग्राम प्रधान हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने जहां हर्षिल को निर्मल ग्रामसभा का दर्जा दिलाया, वहीं उनके खाते में शराबबंदी आंदोलन समेत कई उपलब्धियां दर्ज हैं। 

    सुरेश भाई, संयोजक, रक्षा सूत्र आंदोलन

    जंगल बचाने की बात हो तो बसंती नेगी पहली पांत में आती है। हर्षिल घाटी में सड़क चौड़ीकरण के लिए सात हजार से अधिक देवदार के पेड़ों को काटने की तैयारी है। इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है कि पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही सड़क का चौड़ीकरण किया जाए।

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