Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां संतान प्राप्ति की मनोरथ पूरी करती है देवी मां, पढ़ें...

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Thu, 22 Oct 2015 01:01 PM (IST)

    सिद्धपीठ कुटेटी देवी की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति के मनोरथ के साथ ही सुख समृद्धि देने वाली मानी जाती है। खास तौर पर हर नवरात्रों में यहां अष्टमी व नवमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती हैं।

    Hero Image

    उत्तरकाशी। सिद्धपीठ कुटेटी देवी की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति के मनोरथ के साथ ही सुख समृद्धि देने वाली मानी जाती है। खास तौर पर हर नवरात्रों में यहां अष्टमी व नवमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती हैं।

    ऐतिहासिक मान्यता
    कहा जाता है कि एक बार राजस्थान के कोटा के महाराज गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए। उन्होंने उत्तरकाशी में ही विश्वनाथ मंदिर में रुककर कुछ दिन तक पूजा-अर्चना की। उसके बाद उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह यहीं एक स्थानीय युवक से कर दिया। परिवार से दूर रहने के कारण उनकी दुखी पुत्री को एक बार उनकी कुलदेवी कुटेटी देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और इंद्रावती नदी के समीप ऊंचे टीले पर स्वयं की प्रतिष्ठा करने की बात कही। वह अपने पति के साथ स्वप्न में बताए गए स्थान पर पहुंची तो वहां देवी के प्रतीक स्वरूप तीन पत्थर मिले। उसी जगह पर कुटेटी देवी मंदिर बनाया गया है। इस संबंध में कुटेटी मंदिर के पूजारी ललित मोहन उनियाल ने बताया कि सिद्धपीठ मां कुटेटी की पूजा हर दिन गंगा स्नान के उपरांत होती है। सुबह शाम नियमित ढंग से आरती और पूजा की जाती है। नवरात्र में नौ दिन तक चंडी पाठ का आयोजन होता है।

    धार्मिक मान्यता
    ऐसी मान्यता है कि संतानहीन यदि सच्चे मन से सिद्धपीठ कुटेटी मंदिर में संतान की कामना करे तो मां उनकी इच्छा अवश्य पूरी करती है। कुटेटी देवी समृद्धि और परिवार में सुख शांति प्रदान करने वाली देवी है इसीलिए इन्हें लक्ष्मी स्वरूप भी माना जाता है।

    निर्माण की शैली

    पुराने समय में यह मंदिर सामान्य स्थानीय भवन शैली से ही मेल खाता था। बाद में मनेरी भाली परियोजना निर्माण के दौरान इसका पक्का निर्माण करवाया गया तथा मंदिर को शिखर शैली का रूप दिया गया।

    ऐसे पहुंचें मंदिर

    सड़क मार्ग से देहरादून से 160 किमी व ऋषिकेश से 225 किमी की दूरी तय कर उत्तरकाशी पहुंचा जा सकता हैं। शहर से कुटेटी देवी मंदिर लंबगांव-केदारनाथ मार्ग पर तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
    पढ़ें:- यहां स्नोही वृक्ष पर डोरी बांधने की परंपरा भी चली आ रही है

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें