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गोमुख में लगे हैं 30 मीटर ऊंचे मलबे के ढेर

उत्‍तरकाशी में भागीरथी के उद्गम स्थल के पास मलबे का ढेर लगा है, जिसकी ऊंचाई करीब तीस मीटर है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 10:29 PM (IST)Updated: Sat, 14 Oct 2017 05:00 AM (IST)
गोमुख में लगे हैं 30 मीटर ऊंचे मलबे के ढेर
गोमुख में लगे हैं 30 मीटर ऊंचे मलबे के ढेर

उत्‍तरकाशी, [शैलेन्द्र गोदियाल]: इस वर्ष जुलाई में आई बाढ़ ने गोमुख का भूगोल बदल दिया है। भागीरथी के उद्गम स्थल के पास मलबे का ढेर लगा है, जिसकी ऊंचाई करीब तीस मीटर है।

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गंगोत्री ग्लेश्यिर पर शोध कर रहे वाडिया हिमालय भूगर्भ संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी ने बताया कि भागीरथी के साथ लगा पहाड़ नदी से 60 मीटर ऊंचा था, जो वर्तमान में मलबे के कारण तीस मीटर रह गया है।

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) और नमामि गंगे प्रोजेक्ट के संयुक्त आयोजन में भाग लेने गोमुख पहुंच डॉ. नेगी ने ग्लेश्यिर के साथ ही गंगा के उद्गम स्थल का भी जायजा लिया। उन्होंने बताया कि अभी तक तबाही का स्पष्ट कारण समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन अब साफ है कि इसकी वजह नील ताल का टूटना रहा। 

गोमुख से चार किलोमीटर आगे मेरू पर्वत की तलहटी में नील ताल था, जो अब सूख चुका है। डॉ. नेगी के अनुसार ताल टूटने से भागीरथी में मिलने वाले नालों में उफान आया। यह उफान इतना जबरदस्त था कि इसका मलबा क्रेवास (ग्लेश्यिर में पड़ी दरार) में घुसने के साथ ही नदी के तल में भी जमा हो गया। 

उन्होंने बताया कि अभी यह आकलन नहीं किया गया है कि ग्लेश्यिर को कितना नुकसान हुआ है। गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप पंवार ने बताया कि गोमुख से भोजवासा की ओर करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में भारी मात्रा में मलबा जमा है। 

गौरतलब है कि 16 जुलाई को गोमुख क्षेत्र में जबरदस्त बारिश ने कहर बरपाया था। घटना के तीन दिन बाद गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम ने इलाके का जायजा लेने के अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया था कि ग्लेशियर में पड़ी दरारों में मलबा घुसा हुआ है और उद्गम स्थल पर भागीरथी के तल भी खासा ऊपर उठा हुआ है। तब पार्क अधिकारियों ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को पत्र भेज ग्लेश्यिर के निरीक्षण का आग्रह किया था।

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