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    शुगर का रामबाण इलाज किनगोड़

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    Updated: Mon, 30 Apr 2012 12:25 AM (IST)

    उत्तरकाशी, जागरण कार्यालय: पहाड़ में पायी जाने वाली कंटीली झाड़ी किनगोड़ आमतौर पर खेतों की बाड़ के लिए प्रयोग होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसका व्यावसायिक उपयोग किया जाए तो यह आय का जरिया भी बन सकता है। किनगोड़ का पेड़ फल से लेकर जड़ तक अपने में कई औषधीय गुणों को समेटे हुए है। शुगर जैसी बीमारी का तो यह रामबाण इलाज है।

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    समुद्रतल से 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले किनगौड़ का वानस्पतिक नाम बरबरीस एरिसटाटा है। बरबरीन नामक रसायन की मौजूदगी के चलते इसका रंग पीला होता है। एंटी डायबेटिक गुण के चलते यह पौधा बाकि औषधीय पादपों से थोड़ा अलग है। शुगर से पीड़ित रोगियों के लिए यह रामबाण औषधी है। किनगौड़ की जड़ों को पानी में भिगोकर रोज सुबह पीने से शुगर के रोग से बेहतर ढंग से लड़ा जा सकता है। साथ ही यह पानी पीलिया रोग से लड़ने में भी काफी मदद करता है। इसके अलावा किनगौड़ के पौधे पर मानसून के दौरान लगने वाले लाल काले दाने भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। फलों का सेवन मूत्र संबंधी बीमारियों से निजात दिलाता है। इसके फलों में मौजूद विटामीन सी त्वचा रोगों के लिए भी फायदेमंद है। वहीं इसके तने का पीला रंग चमड़े के रंग को भी रंगने के काम में लाई जाती है। हालांकि कई हिस्सों में इसके जड़ों को दोहन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को इस पेड़ के औषधीय गुणों की जानकारी न होने से बाहरी क्षेत्रों के ठेकेदार इसकी जड़ों को लेकर जाते हैं। रैथल फार्म हाऊस में भी साल 2007-08 में दिल्ली निवासी एक ठेकेदार ने किनगोड़ की जड़ों को खोद कर मोटा मुनाफा कमाया था।

    'दारू हल्दी जिसे स्थानीय भाषा में किनगोड़ कहा जाता है, एक जबरदस्त एंटी डायबेटिक पौधा है। साथ ही इसमें अन्य औषधीय गुण भी है। प्रशासन चाहे तो लोगों को इसे रोपने के लिए प्रेरित कर इसके लिए एक अच्छा बाजार तैयार किया जा सकता है। इससे यह आय का जरिया भी बन सकता है।'

    डॉ. जीके ढींगरा, प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान, पीजी कॉलेज उत्तरकाशी।

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