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    वरुणावत ने कुरेदे 12 वर्ष पुराने जख्म

    By Edited By:
    Updated: Sun, 19 Jul 2015 06:23 PM (IST)

    शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी 12 वर्ष बाद वरुणावत ने फिर से रौद्र रूप धारण कर लिया है। 24 सितम्बर 2

    शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

    12 वर्ष बाद वरुणावत ने फिर से रौद्र रूप धारण कर लिया है। 24 सितम्बर 2003 से वरुणावत पर्वत के शीर्ष से शुरू हुआ भूस्खलन ट्रीटमेंट के बाद कुछ वर्ष शांत रहा, लेकिन 15 जुलाई 2015 को तांबाखाणी सुरंग के उपर से दरकते वरुणावत ने स्थानीय लोगों की नींद उड़ा दी है। भूस्खलन का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में स्थानीय लोग रात भर जागकर अनहोनी से खुद को बचाए रखने की प्रार्थना भगवान से कर रहे हैं।

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    ज्ञानसू गैस गोदाम निवासी 62 वर्षीय वचन सिंह राणा कहते हैं कि जबसे वरुणावत फिर से दरकने लगा है, तब से लोग चैन से नहीं सो पा रहे हैं। शनिवार रात को तीन बजे तक उनका पूरा परिवार जगा रहा। वरुणावत के दरकने के सहमे वचन सिंह अकेले नहीं हैं। बल्कि ज्ञानसू, इंदिरा कॉलोनी, भटवाड़ी मार्ग के करीब दस हजार से अधिक लोगों पर खौफ का साया मंडरा रहा है।

    12 वर्ष पुराने जख्म हुए हरे

    12 साल पहले 24 सितम्बर 2003 से वरुणावत पर्वत के शीर्ष से शुरू हुए भूस्खलन ने शहर का भूगोल बदल दिया था। बिन बारिश ही 40 दिनों तक लगातार भूस्खलन होता रहा। 221 भवन क्षतिग्रस्त हुए तो 365 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी थी। 40 दिन तक हुए भूस्खलन में हजारों टन मलबा रिहायशी क्षेत्र में गिरा था। वर्ष 2004 से लेकर 2008 तक वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट किया गया। यातायात के लिए तांबाखाणी के पास 324 मीटर लंबी सुरंग भी बनाई गई। इन सभी कार्यो पर 282 करोड़ खर्च किए गए। लेकिन, 12 साल बार फिर से वरुणावत दरकने लगा है। 15 जुलाई से लगातार तांबाखाणी के ऊपर वरुणावत दरकता जा रहा है। सुबह से लेकर शाम तक तांबाखाणी घाटी में धूल के गुबार देख लोगों का दिल बैठा जा रहा है।

    ट्रीटमेंट हुआ फेल

    वर्ष 2003 में केन्द्र सरकार ने राज्य को वरुणावत पर्वत उपचार और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए 282 करोड़ का पैकेज दिया था। 2004 से वरुणावत पर्वत का उपचार कार्य शुरू हुआ। पांच साल तक वरुणावत का ट्रीटमेंट कार्य चला। इन वर्षो में 17 सीढ़ीनुमा प्लेटफार्म बनाए गए। वरुणावत पर्वत पर सीमेंट व कंक्रीट के सीढ़ीनुमा प्लेटफार्मो से पानी निकासी के लिए नालियां तो बनाई गई, लेकिन नालियों को खुला छोड़ दिया गया। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी वजह से वरुणावत फिर दरक रहा है।

    घटनाक्रमों पर एक नजर

    - 24 सितम्बर 2003 को पहली बार वरुणावत में शुरू हुआ था भूस्खलन

    - 30 सितम्बर 2003 को 365 परिवारों ने घर छोड़कर ली सुरक्षित स्थानों पर शरण

    - अक्टूबर 2003 में केंद्र सरकार ने वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए स्वीकृत किए 250 करोड़

    - तीन नवम्बर 2003 तक लगातार होता रहा भूस्खलन

    - लगातार भूस्खलन में 202 निजी व 19 सरकारी भवन हुए क्षतिग्रस्त

    - नवम्बर 2003 में केंद्र सरकार की ओर से 32 करोड़ फिर से स्वीकृत

    - जनवरी 2004 में वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट शुरू

    - वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2009 तक चला ट्रीटमेंट

    - वर्ष 2005 में तांबाखाणी सुरंग का निर्माण हुआ शुरू

    - वर्ष 2010 में ट्रीटमेंट कार्य करने वाले विभाग व कंपनियों ने कार्य पूरा किए बिना ही कार्य समेटा

    - वर्ष 2014 में पूरी हुआ तांबाखाणी सुरंग का निर्माण

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