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    केदारनाथ आपदाः धीरे-धीरे परवान चढ़ रही केदारनाथ यात्रा

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 16 Jun 2017 05:14 PM (IST)

    वर्ष 2013 की भीषण केदारनाथ त्रासदी के मात्र चार वर्षो में एक बार फिर से यात्रा धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है।

    केदारनाथ आपदाः धीरे-धीरे परवान चढ़ रही केदारनाथ यात्रा

    रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: वर्ष 2013 की भीषण केदारनाथ त्रासदी के मात्र चार वर्षो में एक बार फिर से यात्रा धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है। चार वर्ष बाद स्थानीय लोग एक बार फिर से बड़ी संख्या में यात्रा से जुड़े कारोबार से जुड़ने लगे हैं। यात्रियो की संख्या भी आपदा से पूर्व आने वाले यात्रियो के बराबर पहुंच गई है। इस यात्रा को अब प्रशासन को व्यवस्थित बनाने की जिम्मेदारी है। 

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    16 व 17 जून वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा का दंश इतना भीषण था कि यात्रा को दुबारा शुरू होने को लेकर ही संशय लगने लगे थे। केदारनाथ धाम में भी मंदिर को छोड़ सब कुछ तबाह हो चुका था। 

    पैदल रास्ता से लेकर सोनप्रयाग तक तबाही ही तबाही थी, ऐसे में दुबारा यात्रा को शुरू करना एक दिवा स्वप्न लग रहा था। केदारनाथ को लेकर स्थानीय के साथ ही बाहरी लोगों में इस तरह खौफ था कि उम्मीद जताई जा रही थी आने वाले कई वर्षो से यात्री नाममात्र ही धाम में पहुंचेंगे, और यात्रा से जुडे हजारों व्यापारियां का रोजगार पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

    आपदा के मात्र चार वर्ष बाद केदारनाथ यात्रा अपने चरम पर है। धाम मे ही यात्रियो के लिए पांच हजार से अधिक रहने की व्यवस्था है। सरकार की मेहनत ने त्रासदी के उस जख्मों को धोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और वर्ष 2017 मे एक बार फिर से पूरे देश के विभिन्न राज्यों से यात्रियों का हुजूम बाबा के दर्शनों को उमड़ पड़ा है।

    केदारनाथ में मात्र एक महीने व दस दिन में तीन लाख 35 हजार यात्री दर्शन कर चुके हैं। अभी यात्रा के साढ़े चार माह शेष हैं। 

    केदारनाथ यात्रा मार्ग पर पूर्व में चालीस हजार से अधिक विभिन्न व्यवसाय से जुड़े व्यापारियो को एक बार फिर से रोजगार मिला है।

    धाम तक जाने वाला पैदल मार्ग, रहने की व्यवस्था भी अब दुरूस्त है, आपदा के बाद यात्रा के शुरूआत तीन वर्षो में प्रशासन ने ही यात्रा पर अपना पूरा नियंत्रण रखा, लेकिन इस वर्ष बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यात्रा मार्ग व धाम में केदारनाथ यात्रा से जुड़ गए हैं, घोड़े, खच्चरो का भी रिकार्ड रजिस्टेशन 5 हजार तक हुआ है। 

    आपदा से पूर्व यह संख्या चार हजार के आस पास होती थी। केवल घोड़ा-खच्चर व्यवसाय से ही दस हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। वयोवृद्व यात्री श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि सरकार की मेहनत व निष्ठा के फलस्वरूप ही आपदा के चार वर्ष बाद ही भारी बदलाव आया है। 

    आपदा में पैदल मार्ग, सड़के पूरी तरह तबाह हो गई थी, लेकिन आज एक बार फिर से सभी रास्ते, सड़क व पड़ाव स्थल पुरानी तरह यात्रियों से भरे हुए हैं। उम्मीद है कि आने वाले वर्षो में ओर अधिक यात्री पहुंचेंगे।  

    गौरीकुंड के पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष महेश बगवाड़ी कहते हैं कि गौरीकुंड आपदा के चार वर्ष बाद एक बार फिर से यात्रा की मुख्य धारा से जुड़ गया है। हालांकि केदारनाथ व सोनप्रयाग में सरकार ने बेहत्तर काम किया है, लेकिन गौरीकुंड में भी तप्त कुंड का अभी तक जीर्णोद्वार नहीं हो सका है। 

    इस तरह परवान चढ़ी केदारनाथ यात्रा 

    2014 में यात्रियों की कुल संख्या-40832

    2015 में यात्रियों की कुल संख्या-154420

    2016 में अब तक यात्रियों की कुल संख्या-309939

    2017 में 14 जून तक दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या-335708

    आपदा के चार साल बाद कितना बदला केदारनाथः देखें तस्वीरें

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