एक पल का संतोष मातम में बदला, पीछे से आई मौत...
पिथौरागढ़ के बस्तड़ी गांव में मौत इस तरह आएगी लोगों को पता नहीं था। करीब 25 लोग एक मकान को बचाने का संतोष कर रहे थे कि काल ने उन्हें अपना ग्रास बना लिया। सभी लोग मलबे में दब गए।
पिथौरागढ़, [ओपी अवस्थी]: एक मकान को बचाने का संतोष कुछ ही पलों में मातम में बदल गया। मकान बचाने की सफलता का पूरा जिक्र भी ग्रामीण नहीं कर पाए थे कि मौत सिर पर आ गई। ऐसा की कुछ हुआ पिथौरागढ़ के बस्तड़ी गांव में। जहां मलबे में करीब 25 लोग एक साथ दब गए। जानते हैं पूरी कहानी।
बीती विनाशकारी रात बस्तड़ी का कुछ नहीं बिगाड़ सकी। सुबह लोग छह बजे जब रात सुरक्षित गुजर जाने के संतोष में थे। इस दौरान गांव से लगभग 50 मीटर दूर धनलेख चोटी में बादल फटा। जिसे स्थनीय भाषा में पनियाबान कहते हैं। चोटी की तरफ से पनियाबान पड़ते ही जमीन से पानी की धार फुट पड़ी।
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देखते ही देखते पानी और मलबा बस्तड़ी में निवासी चंद्रबल्लभ भट्ट के मकान पर आ गया। परिवार के सदस्यों ने घर के बहार दौड़ लगा दी। गांव के लोग बारिश के बीच मकान को बचाने दौड़े। ग्रामीणों के प्रयास से मकान बच गया।
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मकान को बचाने के बाद करीब 25 लोग कृष्णानंद भट्ट के मकान में एकत्र हो गए। यहां पर मकान को बचाने को लेकर ग्रामीण अपनी तत्परता और साहस की चर्चा कर रहे थे। उन्हें पता नहीं था कि 50 मीटर ऊपर मौत उन्हें देख रही थी। ग्रामीण कुछ समझ पाते इससे पहले ही पानी और मलबे का दूसरा सैलाबा आया। इस सैलाब में आठ मकान जमींदोज हो गए। मलबे में सभी लोग दबल गए। बता दें कि गांव में इस समय 30 परिवार रहते हैं।
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