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    साइकिल से दुनिया नाप रहा है उत्‍तराखंड का यह युवा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 29 Aug 2017 08:45 PM (IST)

    दुनिया को नापने की चाह मन में लिए उत्‍तराखंड का एक युवक साइकिल पर निकल पड़ा। 93 दिनों की यात्रा के बाद रविवार देर शाम वह कोटद्वार पहुंचा।

    साइकिल से दुनिया नाप रहा है उत्‍तराखंड का यह युवा

    कोटद्वार(पौड़ी),[रोहित लखेड़ा]: साइकिल के दो पहियों पर सवार हो दुनिया नापने का सपना देख रहे कुमाऊं मंडल में गरुण ब्लाक के रिठाड़ गांव निवासी प्रदीप राणा 93 दिनों की यात्रा के बाद रविवार देर शाम कोटद्वार पहुंचे। गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने की चाह लिए प्रदीप ने अगले पांच माह में 20 हजार किलोमीटर का सफर करने का लक्ष्य रखा है।

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    रिठाड़ गांव के मूल निवासी प्रदीप राणा इंटरमीडिएट करने के बाद इस समय ग्राफिक ऐरा देहरादून से आइटी प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। प्रदीप जब दसवीं के छात्र थे तो उन्हें साइकिल चलाने का शौक लगा। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण प्रदीप ने कबाड़ की दुकान से एक पुरानी साइकिल खरीदी। 

    उसी की मरम्मत करवाने के बाद वर्ष 2015 में गांव से बागेश्वर व काठमांडू तक का सफर तय किया। वर्ष 2016-17 में जब उन्होंने देहरादून में आइटी प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया तो एक दिन अपने पिता को फोन कर साइकिल से वर्ल्‍ड रिकार्ड बनाने की बात कही। लंदन में एलेरा कैपिटल के सीइओ एवं उत्तराखंड मूल के चंपावत निवासी राज भट्ट को फेसबुक के माध्यम से प्रदीप के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे एक साइकिल और लैपटॉप भेंट किया। 

    कॉलेज के छात्रों ने कुछ रकम जमा कर 23 मई को उन्हें देहरादून से रवाना किया। 18 वर्षीय प्रदीप अब तक उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, उड़ीसा, केरल, कर्नाटक सहित कई राज्यों का सफर तय कर चुके हैं। प्रदीप ने बताया कि वह हर रोज 100 से 150 किलोमीटर तक का सफर साइकिल से तय करते हैं। बताया कि वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए पुणे के संतोष होली का रिकार्ड तोड़ना चाहते है। संतोष ने वर्ष 2015-16 में 110 दिन में 15,222 किलोमीटर का सफर तय किया था। 

     पिता ने बेचा खेत 

    प्रदीप राणा ने बताया कि कुछ दिन पूर्व सफर के दौरान उसके पैसे खत्म हो गए। उसने पिता से यह बात कही तो उन्होंने 25 हजार रुपये में गांव का एक खेत बेच दिया था। कहा कि वह वर्ल्‍ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराकर अपने प्रदेश और माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं। 

     

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