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    3.6 मीटर दूरबीन की दिशा तय करने जुटे वैज्ञानिक

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Mon, 14 Nov 2016 09:41 PM (IST)

    आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज की मंगलवार से एटीआइ में चार दिवसीय बेल्जो इंडियन नेटवर्क फॉर एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स बीना वर्कशाप आयोजित की जा रही है।


    नैनीताल, [जेएनएन]: ब्रहमांड के अनगिनत गूढ़ रहस्य आज भी हमारी समझ से परे हैं। अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए देवस्थल में एशिया की सबसे बड़ी ऑप्टिकल दूरबीन स्थापित की गई है। इस दूरबीन की खोज की दिशा तय करने के लिए आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज की मंगलवार से एटीआइ में चार दिवसीय बेल्जो इंडियन नेटवर्क फॉर एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स बीना वर्कशाप आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में भारत समेत बेल्जियम, जापान व थाइलैंड के वैज्ञानिक जुट रहे हैं। उद्घाटन डीएसटी केंद्रीय सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा वर्कशाप का उदघाटन करेंगे।

    ब्लैक होल के बारे में आज भी ज्ञान अधूरा होने के साथ ही तारों की उत्पत्ति, निर्माण व उसमें होने वाले विस्फोट के बारे में विस्तृत जानकारी से हम अंजान हैं। इसी तरह अंतरिक्ष में बाहरी आकाशगंगाएं व उनके तारों समेत डार्क मैटर आदि ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में जानकर ही ब्रहमांड को समझ सकें गे। एरीज की देवस्थल में स्थापित 3.6 मीटर ऑप्टिकल दूरबीन इन रहस्यों को खोज पाने की क्षमता रखती है।

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    इस दूरबीन का सटीक उपयोग व खोज की दिशा के बारे में भारत व बेल्जियम समेत जापान व थाइलैंड के वैज्ञानिकों के बीच विस्तार में चर्चा होने जा रही है। एरीज के कार्यवाहक निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन के अनुसार देवस्थल में स्थापित दूरबीन को लेकर यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। कार्यशाला की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। चार दिनी वर्कशाप के अंतर्गत वैज्ञानिकों द्वारा देवस्थल का भ्रमण भी किया जाएगा।

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    चार मीटर लिक्विड दूरबीन का निर्माण कार्य चल रहा तेजी से
    एरीज के देवस्थल में चार मीटर व्यास की लिक्विड मिरर दूरबीन स्थापित किए जाने का कार्य तेजी से चल रहा है। यह दूरबीन आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज व बेल्जियम की संयुक्त परियोजना है। दूरबीन के लिए भवन बनकर तैयार हो चुका है। अगले कुछ महीनों में स्थापित किए जाने की संभावना है। इसके बाद टेस्टिंग का कार्य चलेगा। बाद में दूरबीन कार्य करना शुरू कर देगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि खोज की दिशा में यह दूरबीन नए आयाम पैदा करेगी। यह दूरबीन आसमान के एक निश्चित दिशा में बारीकी से खोज पड़ताल करने में सक्षम होगी।

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