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    आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रही यह महिला

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 13 Mar 2017 02:00 PM (IST)

    रुड़की के पश्चिमी अंबर तालाब निवासी सुषमा सिंह नि:स्वार्थ भाव से समाज सेवा कर रही हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रहे हैं।

    आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रही यह महिला

    रुड़की, [रीना डंडरियाल]: एक ओर शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि मध्यम वर्ग उसका भार उठाने में सक्षम नहीं, उस पर ट्यूशन फीस ने तो उसकी कमर तोड़कर ही रख दी है। लेकिन, इस सारे परिदृश्य में ऐसे लोग भी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने इस पुनीत कार्य से वे औरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
    रुड़की के पश्चिमी अंबर तालाब निवासी सुषमा सिंह (49 वर्ष) भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं, जो नि:स्वार्थ भाव से समाज सेवा कर रहे हैं। सुषमा पश्चिमी अंबर तालाब में चलाए जा रहे निश्शुल्क शिक्षा सेवा केंद्र बगिया की संचालक हैं। इस केंद्र में नर्सरी से लेकर स्नातक तक के नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में उनकी इस बगिया में 67 छात्र-छात्राएं आते हैं।
    इन सभी के परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वे ट्यूशन फीस के रूप में मोटी रकम खर्च कर सकें। लेकिन, सभी भविष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। इसलिए सुषमा उनकी मदद को आगे आईं। इस कार्य में सुषमा की बेटी आरुषि राणा भी उनका हाथ बंटाती हैं।
    सुषमा मूलरूप से झारखंड के डाल्टनगंज शहर के पास स्थित अररुआ गांव की रहने वाली हैं। बकौल सुषमा, 'गांव में मेरा पापा और चाचा ही पढ़े-लिखे थे। उनके बाद दोनों परिवारों के बच्चों को ही पढ़ने का मौका मिला। पापा आर्मी में थे, इसलिए मुझे रुड़की और अंबाला में भी शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला। शादी के बाद मैं रुड़की आ गई और अपने परिवार के ही छोटे बच्चों को पढ़ाने लगी।
    अब सब बच्चे बड़े हो गए हैं। ऐसे में मैंने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने की ठानी।' सुषमा के पास अधिकांश वे बच्चे आते हैं, जिनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है। जबकि कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जो बेहद कमजोर परिवारों से होने के कारण स्कूल ही नहीं जा पाते। सुषमा छोटे बच्चों को सभी विषय पढ़ाती हैं। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया है।
    विज्ञान वर्ग के बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाना उनके लिए कठिन है। ऐसे में बगिया में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित उनकी बेटी पढ़ाती है। इस बच्चों को चार शिफ्ट में पढ़ाया जाता है। आरुषि स्वयं वर्तमान में केएलडीएवी पीजी कॉलेज में बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा है। सुषमा बताती हैं कि इस कार्य में उनके पति शेष सिंह राणा का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिलता है।
    सप्ताह में सातों दिन चलती है कक्षा
    पहले तो सुषमा अपने घर पर ही बच्चों को पढ़ाती थी, लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है तो उन्हें अधिक जगह की आवश्यकता पड़ रही है। सो, अब वह पश्चिमी अंबर तालाब में स्थित एक धर्मशाला में कक्षाएं चला रही हैं। दोपहर ढाई से शाम साढ़े छह बजे तक चलने वाली कक्षाओं में सप्ताह के छह दिन वह बच्चों को पाठ्यक्रम से पढ़ाती हैं। जबकि, रविवार को उनकी रुचि के अनुसार कार्य कराया जाता है। इस दिन बच्चे आर्ट और क्राफ्ट सीखते हैं। कुकिंग में रूचि रखने वाली छात्राओं को मौखिक रूप से जानकारी दी जाती है।

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