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    नन्हें गजराजों पर यशोदा जैसा नेह बरसा रही है यह राधा

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 02 Apr 2017 05:03 AM (IST)

    राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की चीला रेंज में राधा नाम की यह पालतू हथनी दो नन्हें गजराजों पर यशोदा जैसा स्नेह बरसा रही है। यहां रहने वाले महावत भी गजराजों का पूरा ख्याल रखते हैं।

    नन्हें गजराजों पर यशोदा जैसा नेह बरसा रही है यह राधा

    हरिद्वार, [राहुल गिरि]: कहते हैं बच्चे का मां जैसा दुलार दुनिया में कोई और नहीं कर सकता। लेकिन, राधा की बात ही निराली है। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की चीला रेंज में राधा नाम की यह पालतू हथनी दो नन्हें गजराजों पर यशोदा जैसा स्नेह बरसा रही है। दोनों नन्हें गजराज भी अब राधा को ही अपनी मां समझ दिनभर उसी के आंचल की छांव में रहना पसंद करते हैं। यहां रहने वाले महावत भी गजराजों का पूरा ख्याल रखते हैं। 

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    एशियाई हाथियों की प्रमुख पनाहगाह राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों में हमेशा से ही रहे हैं। यहां हाथियों की संख्या 300 से अधिक बताई जाती है। यही वजह है कि यहां आने वाले पर्यटकों को सफारी के दौरान आसानी से हाथियों का दीदार हो जाता है। 

    लेकिन, यहां हम जंगल के हाथियों की नहीं, बल्कि राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज में पल रहे पालतू हाथियों की बात कर रहे हैं। ये हाथी पर्यटकों को सफारी कराने के साथ जंगल में अपने झुंड से बिछुड़े नन्हें गजराजों के पालनहार भी बने हुए हैं। 

    इन्हीं में शामिल है रेंज में रह रही एक पालतू हथनी, जो करीब 13 साल पहले जंगल में अपने झुंड से बिछड़ गई थी। तब वनकर्मी उसे चीला रेंज में ले आए और पार्क प्रशासन ने उसे नाम दिया 'राधा'। आज यही राधा जंगल में अपने झुंड से बिछुड़े दो नन्हें गजराजों को मां जैसा प्यार दे रही है। दोनों गजराजों का जितना ध्यान महावत रखते हैं, उससे कहीं अधिक राधा रख रही है। इसलिए बच्चे दिनभर उसी के साथ रहते हैं। 

    करीब ढाई साल पूर्व मिली थी रानी

    करीब ढाई वर्ष पूर्व श्यामपुर रेंज के जंगल में करीब दो माह की उम्र का हाथी का एक बच्चा वनकर्मियों को मिला। उसे चीला रेंज में लाया गया। तत्कालीन पार्क निदेशक नीना ग्रेवाल ने इस मादा हाथी का नाम रानी रखा। अब वह तीन साल की होने वाली है। 

    डेढ़ माह पूर्व मिला था नन्हा गजराज

    बीती 20 फरवरी को देहरादून डिवीजन की बड़कोट रेंज में एक डेढ़ वर्षीय हाथी का बच्चा अपने झुंड से बिछड़ गया। गश्त के दौरान उसे वनकर्मियों ने इधर-उधर भटकते देखा तो कब्जे में ले लिया। इस दौरान गिरने से उसके चेहरे पर चोट भी लग गई थी। वनकर्मियों ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी तो उन्होंने हाथी के बच्चे को चीला रेंज भिजवा दिया। इस बच्चे को जूही नाम दिया गया है।

    पिलाया जा रहा दूध

    महावत जाकिर रहमान ने बताया कि जूही को फिलहाल दूध का पाउडर गुनगुने पानी में मिलाकर दिया जा रहा है। उसके चेहरे पर कुछ चोट के निशान हैं। डॉ. अदिति शर्मा इन पर समयानुसार दवा लगाने आती हैं।

    प्रार्क प्रशासन दे रहा सुरक्षा 

    राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर के अनुसार पार्क प्रशासन का उद्देश्य हाथियों का संरक्षण व उनकी सुरक्षा करना है। जंगल में अपने झुंड से बिछुड़े हाथियों के बच्चों को चीला रेंज में रखा जाता है। यहां राधा, रंगीली व राजा के साथ अब रानी व जूही की देखरेख पार्क प्रशासन व महावत की ओर से की जा रही है। 

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