Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां ने दिया बेटियों को नया आसमान, पढ़ें पूरी खबर...

    By Thakur singh negi Edited By:
    Updated: Thu, 14 Apr 2016 08:00 AM (IST)

    उर्मिला देवी के लिए मामूली वेतन में पांच बेटियों की परवरिश और उन्हें अच्छी तालीम दिलाना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन, उन्होंने कभी हार नहीं मानी, न अपनी बेबसी ही बच्चों पर जाहिर होने दी।

    मनीष कुमार रुड़की। उर्मिला देवी के लिए मामूली वेतन में पांच बेटियों की परवरिश और उन्हें अच्छी तालीम दिलाना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन, उन्होंने कभी हार नहीं मानी, न अपनी बेबसी ही बच्चों पर जाहिर होने दी। नतीजा आज उनकी पांचों बेटियां न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि शिक्षा की मुहिम को भी आगे बढ़ा रही हैं। उर्मिला देवी के ही शब्दों में कहें तो, ‘बेटियां मेरी आन, बान और शान हैं।’
    उर्मिला देवी ने वर्ष 1971 में प्राइमरी कन्या पाठशाला भगवानपुर से शिक्षक के रूप में करियर की शुरुआत की। तब उन्हें महज 110 रुपये मासिक वेतन मिलता था और पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण घर-परिवार की सारी जिम्मेदारी भी उन्हीं पर थी। बकौल उर्मिला, ‘नौकरी लगने के दो साल बाद शादी हो गई और इसी के साथ बढ़ने लगीं जिम्मेदारियां।
    पति को रोजगार शुरू करने में मदद से लेकर पांचों बेटियों का लालन-पालन और उनकी पढ़ाई-लिखाई, सब मुझे ही देखना था। हालांकि, धीरे-धीरे तनख्वाह तीन हजार रुपये हो गई, लेकिन जिम्मेदारियों के आगे यह रकम काफी कम थी। फिर भी मेरे इरादे डिगे नहीं। बेटियों को प्राइवेट के बजाय, सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाया। ट्यूशन भेजने की जगह घर पर ही खुद उन्हें पढ़ाने लगी।
    उर्मिला बताती हैं, सबसे बड़ी बेटी रश्मि स्नातक और फिर बीटीसी करने के बाद भगवानपुर कस्बे के ही सिकंदरपुर जूनियर हाईस्कूल में पढ़ा रही है। दूसरी बेटी प्रेरणा ने स्नातकोत्तर के बाद बीएड किया और फिर यूटीईटी परीक्षा पास कर प्रदेश के एक स्कूल में सेवा दे रही है। तीसरी बेटी ने राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और उसका चयन एक इंटर कॉलेज में बतौर प्रवक्ता हुआ।
    वर्तमान में वह भगवानपुर के सिकरौढ़ा इंटर कॉलेज में शिक्षण कार्य कर रही है। चौथी बेटी डीएलएड की परीक्षा पास कर रुड़की डायट में प्रशिक्षण ले रही है। जबकि, सबसे छोटी बेटी एमएससी और बीएड करने के बाद कस्बा क्षेत्र के ही भलस्वागाज इंटर कॉलेज में शिक्षक है। कहती हैं, ‘बेटियों को अगर बेटों के समान ही शिक्षा और सुविधाएं दी जाएं, तो दुनिया को जीतने की क्षमता उनमें है। मेरी बेटियों ने इसे साबित कर दिखाया।’

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें- हर मुराद पूरी करती है भेलई माता

    comedy show banner
    comedy show banner