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पर्यटकों को लुभाएगा झिलमिल झील क्षेत्र, बनेगा ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन

उत्तराखंड सरकार रसियाबड़ झिलमिल झील क्षेत्र को ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन केे रूप में विकसित करने जा रही है। जहां सैलानी कर्इ तरह के वन्य जीव-जंतुओं का दीदार कर पाएंगे।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 06:27 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 05:00 AM (IST)
पर्यटकों को लुभाएगा झिलमिल झील क्षेत्र, बनेगा ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन
पर्यटकों को लुभाएगा झिलमिल झील क्षेत्र, बनेगा ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन

हरिद्वार, [विनोद श्रीवास्तव]: पर्यटन विभाग हरिद्वार-नजीबाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रसियाबड़ झिलमिल झील क्षेत्र को ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करेगा। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। क्षेत्र के ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होने से जहां सैलानी बारहसिंगा, मगरमच्छ, बाघ, चीतल, हाथी आदि वन्य जीवों के अलावा स्थानीय परिंदों की 160 प्रजातियों और तितलियों की यलो कास्टर्स प्रजाति का दीदार कर सकेंगे। वहीं पर्यटन विभाग की आय में भी इजाफा होगा। 

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व पर्यटन मंत्री सतपाल महराज की मंशा प्रदेश के सभी जिलों में ईको टूरिज्म सेंटर विकसित करने की है। ताकि पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित कर प्रदेश को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जा सके। इसके लिए पर्यटन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल चौहान बताते हैं कि इसके तहत पर्यटन विभाग की ओर से रसियाबड़ वन्य संरक्षण क्षेत्र में स्थित झिलमिल झील को ईको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए शासन को एक करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही झिलमिल झील क्षेत्र को ईको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 

यह होने हैं कार्य 

-सफारी मार्गों का विकास, दिशा सूचकों का संयोजन 

-झिलमिल झील तक सफारी जीप के आने-जाने का रास्ता 

-अनुरक्षण के लिए वॉच टावर 

-सन व रेन शेल्टर 

-मगरमच्छ पार्क का विकास 

किस कार्य पर कितना खर्च

-प्रचार-प्रसार के लिए पंफलेट, लीफलेट, साइनेज, होर्डिंग्स, दिशा सूचक के डिजाइन, डिस्पले के लिए दस लाख रुपए। 

-विभागीय सफारी जीप का मोडिफिकेशन एवं अनुरक्षण के लिए पांच लाख रुपए।

-वृहद स्वागत द्वार, बुकिंग काउंटर, पार्किंग, कैफेटेरिया व टायलेट का निर्माण तीस लाख रुपए। 

-झिलमिल झील तक सफारी कारों के आवागमन के लिए मार्ग के विकास के लिए पांच लाख रुपए।

-सन, रेन शेल्टर का निर्माण व वॉच टावर के पुनरुद्धार के लिए दस लाख रुपए। 

-मगरमच्छ पार्क के विकास के लिए बीस लाख रुपए।  

-आवासीय सुविधा के लिए क्वार्टर निर्माण के लिए बीस लाख रुपए। 

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