स्कूल छोड़ चुकी छात्राओं को शिक्षा की मुख्यधारा में ला रही यह महिला
हरिद्वार में डॉ. पुष्पारानी वर्मा कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ाई से विमुख हो चुकी बालिकाओं और युवतियों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही हैं।
हरिद्वार, [विजय मिश्र]: सामाजिक बंधन व परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ाई से विमुख हो चुकी बालिकाओं और युवतियों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। कम से कम किसी सरकारी अफसर के लिए तो यह खासा मुश्किलों भरा काम है।
बावजूद इसके डॉ. पुष्पारानी वर्मा का जुनून अपनी जगह है। उनके पास एक ओर शिक्षाधिकारी का दायित्व है तो दूसरी ओर सामाजिक सरोकारों का जिम्मा। फिर भी उन्होंने दोनों के बीच समन्वय स्थापित कर लोगों को शिक्षा की दहलीज पर लाने के लिए जनसहभागिता से शालाघरों का निर्माण कराया। इसके बाद लोगों को तरह-तरह की उलाहना देकर इन शालाओं से भी जोड़ लिया। वर्तमान में इनकी संख्या 150 के करीब पहुंच चुकी है। फिर भी उनका जुनून कम नहीं हुआ।
वर्तमान में डॉ. पुष्पारानी वर्मा के नाम से करीब-करीब जिले का हर व्यक्ति परिचित है। बतौर प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी पुष्पारानी हरिद्वार में करीब पांच महीने से कार्यरत हैं। उन्होंने पहले स्कूल छोड़ चुकी छात्राओं को सरकारी मुहिम के तहत मोटीवेट कर स्कूल की दहलीज पर लाने का प्रयास किया।
यह मुहिम कुछ हद तक सफल भी रही। लेकिन, कुछ ऐसी बालिकाएं व युवती शामिल भी थीं, जिनके परिजन उनकी पढ़ाई में नाममात्र को भी रुचि नहीं ले रहे थे। सो, पुष्पारानी ने इन बालिकाओं को भी शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की ठान ली। उन्होंने स्वयं ग्राम प्रधानों और आसपास के प्रतिष्ठित लोगों से संपर्क कर शालाघरों का निर्माण कराया।
धीरे-धीरे मुहिम रंग लाने लगी और वर्तमान में तीन शालाघरों से 150 बालिकाएं व युवतियां जुड़ चुकी हैं। उन्हें वह स्वयं एवं जनसमूहों के सहयोग से पठन-पाठन का कार्य करा रही हैं। साथ ही उन्हें हुनरमंद बनाने के भी प्रयास जारी हैं। इसी की परिणति है कि पुष्पारानी को न्यूपा की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।
बकौल पुष्पारानी, मुझसे हरिद्वार में बालिकाओं की शिक्षा का स्तर देखा नहीं गया। इसलिए मैंने मन में ठान लिया कि उन्हें फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लाना है। इस अभियान में लोगों ने भी काफी सहयोग दिया। इसी का नतीजा है कि मैं अपने प्रयासों को मुकाम तक ले जाने में सफल हो रही हूं। मैं जहां भी रहूंगी प्रयास यही होगा कि महिलाओं को शिक्षा क्षेत्र में कोई पछाड़ न सके।
मुफ्त शिक्षा, किताबें और सिलाई
हरिद्वार जिले में तीन शालाघरों का निर्माण कराया गया है। इनमें बालिकाओं को निश्शुल्क शिक्षा के साथ ही किताबें और सिलाई के लिए मशीन व अन्य संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं। ताकि बालिकाओं को सशक्त बनाया जा सके।
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