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गो-मूत्र रहित हैं अधिकांश उत्पाद : पतंजलि योगपीठ

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: पतंजलि योगपीठ के विभिन्न प्रकल्पों में तैयार होने वाले 700 के करीब आयुर्व

By Edited By: Published: Wed, 18 May 2016 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2016 07:27 PM (IST)
गो-मूत्र रहित हैं अधिकांश उत्पाद : पतंजलि योगपीठ

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: पतंजलि योगपीठ के विभिन्न प्रकल्पों में तैयार होने वाले 700 के करीब आयुर्वेद उत्पादों में से 695 उत्पादों में गो-मूत्र का इस्तेमाल नहीं होता है। इसलिए यह कहना गलत है कि पतंजलि उत्पादों में गो-मूत्र का इस्तेमाल होता है और यह धर्म विशेष के लोगों के इस्तेमाल में बाधक है। पतंजलि योगपीठ का कहना है कि पतंजलि के जिन पांच उत्पादों में आयुर्वेद के लिए जरूरी होने पर गो-मूत्र का सेवन होता है, उन पर यह बात अंकित रहती है। साफ है कि पतंजलि योगपीठ अपने कोई भी उत्पाद तथ्यों की जानकारी दिए बगैर बाजार में नहीं उतारती। पतंजलि की ओर से आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के उत्पादों की बढ़ती मांग और योगगुरु बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के स्वदेशी अभियान की सफलता से घबरा कर विदेशी मानसिकता के लोग और विदेशी कंपनियां अपने मुनाफे को इस तरह की ओछी हरकतें कर रहे हैं।

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दरअसल, बरेली की एक प्रतिष्ठित मुस्लिम संस्था ने पतंजलि उत्पादों में गो-मूत्र के इस्तेमाल किए जाने पर अपने लोगों को इसका इस्तेमाल करने से रोक रही है। इसके बाद पतंजलि ने यह दावा किया है। पतंजलि योगपीठ और योगगुरु बाबा रामदेव के मुख्य प्रवक्ता एसके तिजारावाला की ओर से जारी लिखित बयान में जानकारी दी है कि पतंजलि योगपीठ के प्रकल्पों की ओर से निर्मित आयुर्वेद उत्पादों के निर्माण में सभी धर्मों, जाति और वर्ग के लोग न सिर्फ काम कर रहे हैं, बल्कि आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुपालन में उसकी शुद्धता, गुणवत्ता भी बरकरार रख रहे हैं। बताया कि पतंजलि आयुर्वेद के महज पांच उत्पादों, जिनमें कैंसर की दवा-गोधन अर्क, संजीवनी वटी, चर्म रोगों की दवा-पंचगव्य साबुन, चर्म रोगों, फोड़े, फुंसी की दवा-कायाकल्प तेल और फर्श तथा घर की साफ-सफाई के लिए बनने वाले शुद्धि फिनायल में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

पतंजलि योगपीठ की ओर से दावा किया कि इनके अलावा पतंजलि के किसी भी उत्पाद में गो-मूत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बताया कि इन पांच चीजों में से मात्र दो ही गोधन अर्क और संजीवनी वटी ही खाने-पीने वाली है, बाकी दवा लगाने वाली है। पतंजलि ने अपने दावे के समर्थन में देवबंद दारूल-उलूम से जारी पत्र को भी साझा किया है, जिसमें कहा गया है कि जान बचाने के लिए बेहद जरूरी होने पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। पतंजलि योगपीठ की ओर से उनके प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने कहा कि किसी भी संस्थान या व्यक्ति की ओर से इस तरह का आरोप लगाना गलत है।


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