Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बोलियों का दौर शुरू, निर्दलीयों की चांदी

    By Edited By:
    Updated: Fri, 08 Jan 2016 01:00 AM (IST)

    अनूप कुमार, हरिद्वार: कांग्रेस और बसपा में प्रतिष्ठा का प्रश्न बने जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद ...और पढ़ें

    Hero Image

    अनूप कुमार, हरिद्वार: कांग्रेस और बसपा में प्रतिष्ठा का प्रश्न बने जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद पर कब्जे को अभी से दांवपेंच आजमाने शुरू हो गए। दोनों ही दल अपनी-अपनी बादशाहत बनाने को निर्दलीयों को अपने पाले में करने को जोर-आजमाइश में जुट गए हैं। साथ शुरू हो गया प्रत्याशियों के रिझाने और अपने पाले में करने को ऑफर और बोलियों का दौर। नगद नारायण से लेकर विदेश दौरों और गाड़ियों के दिए जा रहे हैं प्रस्ताव।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिला पंचायत चुनाव नतीजे आने के बाद अध्यक्ष पद के लिए दौड़ शुरू हो गई है। हालांकि अभी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होने में समय है पर, राजनीतिक दल खासकर कांग्रेस और बसपा ने अभी से अध्यक्ष पद की चाभी माने जा रहे निर्दलीयों को अपने पाले में करने को पांसे फेंकने शुरू कर दिए हैं। जीते हुए प्रत्याशियों और उनके नजदीकियों से मेलजोल बढ़ा उन्हें अपने साथ लाने को देर रात तक दावतों और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है। विजयी महिला प्रत्याशियों के पतियों की चांदी हो गई है, राजनीतिक दल उनकी पत्नियों का वोट पाने को उन्हें मनाने में जुटे हैं। उनकी हर वाजिब-गैर वाजिब फरमाइशों को पूरा किया जा रहा है।

    जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जे को लेकर उन्हें परिवार सहित विदेश दौरे, गाड़ियों के उपहार और नगद नारायण के ऑफर भी दिए जा रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 24 के जादुई आंकड़े को पूरा करने के लिए कोई कोर कसर अभी से बाकी नहीं रखी जा रही है। हालांकि जीते हुए अधिकांश निर्दलीय प्रत्याशी राज्य में कांग्रेस सरकार होने के नाते अपने पत्ते अभी नहीं खोल रहे। सभी सरकार और मुख्यमंत्री के रूख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना का इंतजार कर रहे हैं। चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद ही चुनाव की असल तस्वीर सामने आएगी।

    विरोधी दलों के विजयी प्रत्याशियों पर भी डाले जा रहे डोरे

    जिला पंचायत चुनाव में पार्टी ¨सबल का उपयोग नहीं होने के कारण जीते हुए उम्मीदावारों के लिए पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता ज्यादा मायने नहीं रखती। इसके मद्देनजर विरोधी दलों के विजयी प्रत्याशियों की जरूरतों और आवश्यकताओं का पता लगा उनके अनुरूप उन्हें ऑफर दिए जा रहे हैं। कांग्रेस और बसपा दोनों की तरफ से ये खेल खेला जा रहा है। पिछले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बसपा के समर्थन से जीते एक प्रत्याशी ने ऐन वक्त पर पाला बदल लिया था पर, बसपा ने पहले से ही इस आशंका के चलते 8 भाजपा सदस्यों से मिल अतिरिक्त व्यवस्था की हुई थी, जिसके दम पर उसने अंत समय में जीत हासिल कर ली। इस बार भी इसी तरह की कोशिश कांग्रेस और बसपा दोनों ही कर रहे हैं, दोनों अपना घर मजबूत करने के साथ-साथ दूसरे के घर में सेंधमारी करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।