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    उत्तराखंड में शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की विजिलेंस जांच

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 09 Apr 2017 06:00 AM (IST)

    राज्य में सरकारी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की जांच सतर्कता (विजिलेंस) को सौंपी जाएगी। ऐसे मामलों में 79 शिकायत की जांच के बाद 34 शिक्षक को बर्खास्त हुए।

    उत्तराखंड में शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की विजिलेंस जांच

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]:  राज्य में सरकारी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की जांच सतर्कता (विजिलेंस) को सौंपी जाएगी। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नियुक्ति की कुल 79 शिकायतें मिली हैं। इनमें से 34 शिक्षकों को जांच के बाद बर्खास्त किया जा चुका है। अपर मुख्य सचिव शिक्षा डॉ रणबीर सिंह ने अब इन सभी मामलों की विजिलेंस से गहन जांच कराने के निर्देश दिए। फर्जी प्रमाणपत्रों के ये अधिकतर मामले ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार जिलों के हैं। 

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    राज्य के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की फर्जी प्रमाणपत्रों से नियुक्तियों के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। अब तक मिली कुल 79 शिकायतों में जांच के बाद 34 शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा चुका है। विभागीय जांच में इन शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। 

    ऐसे मामले अधिकतर ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में सामने आए हैं। शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्र, मूल निवास प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़े की शिकायतों पर अंकुश लगाने को अपर मुख्य सचिव शिक्षा डॉ रणबीर सिंह ने सचिवालय में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी, गढ़वाल मंडल के अपर निदेशक-बेसिक एसपी खाली, कुमाऊं मंडल के अपर निदेशक-बेसिक नीता समेत विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक के साथ बैठक की। 

    बैठक में बताया गया कि ऊधमसिंह नगर जिले में 28, हरिद्वार जिले में 16, नैनीताल जिले में पांच और टिहरी जिले में भी दो शिक्षकों की फर्जी प्रमाणपत्रों से नियुक्ति हासिल करने की शिकायतें मिली हैं। अपर मुख्य सचिव शिक्षा डॉ रणबीर सिंह ने बताया कि फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नियुक्ति पाने की शिकायतों की जांच विजिलेंस से कराने का निर्णय हुआ है। 

    जांच के बाद दोषियों के खिलाफ एफआइआर समेत तमाम जरूरी कार्रवाई संभव हो सकेगी। अभी कई मामलों में फर्जीवाड़ा करने वालों पर एफआइआर दर्ज है, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है, ताकि भविष्य में ऐसे दुस्साहस पर रोक लग सके।

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