उत्तराखंडः लोकायुक्त व तबादला विधेयक प्रवर समिति के हवाले
त्तराखंड लोकायुक्त विधेयक और लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक पारित करने की बजाए प्रवर समिति को सौंप दिए गए। यह समिति एक माह में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
देहरादून [राज्य ब्यूरो]: पारदर्शी व्यवस्था और सुशासन के दावों के बीच विधानसभा में पेश किए गए उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक और लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक पारित करने की बजाए प्रवर समिति को सौंप दिए गए। प्रवर समिति इन दोनों विधेयकों पर एक माह के भीतर सदन में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
लोकायुक्त विधेयक पर अपना संशोधन वापस लेने के बावजूद इसे प्रवर समिति को सौंपे जाने को लेकर कांग्रेस ने सरकार को निशाने पर लिया। कांग्रेस ने कहा कि कि लोकायुक्त अधिनियम लागू करने में सरकार में इच्छाशक्ति का अभाव नजर आ रहा है।
सदन में संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक पर चर्चा में कहा कि लोकायुक्त लागू होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। सभी कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे। लोकायुक्त न केवल शिकायतों पर बल्कि मामलों को स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही को स्वतंत्र होगा और इसके पास असीमित अधिकार होंगे।
विधेयक पर संशोधन पेश करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश व करन माहरा ने इसमें अपने सुझाव देते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपने को कहा। भाजपा की ओर से मामले में सभी उचित बिंदु शामिल करने के आश्वासन व स्वच्छ प्रशासन के नाम पर कांग्रेस ने अपना संशोधन वापस ले लिया लेकिन संसदीय कार्य मंत्री ने विधेयक पारित कराने की बजाए इस पर और कार्य करने की बात कहते हुए इसे प्रवर समिति को भेजने की संस्तुति कर दी।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने लोकसेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक पर अपने विचार रखते हुए इसकी खूबियां गिनाई। इस पर संशोधन पेश करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि इसमें कई बातें छूट गई हैं। यह कर्मचारियों के भविष्य और हित संरक्षण का प्रश्न है।
इसमें महिलाओं के स्थानांतरण, दांपत्य नीति और रिटायरमेंट के नजदीक खड़े कर्मचारियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस विधेयक को पहले प्रवर समिति को सौंपा जाए। विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, प्रीतम सिंह और काजी निजामुद्दीन ने भी इस पर अपने विचार रखे और विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का अनुरोध किया।
विपक्ष का प्रस्ताव सदन ने ध्वनिमत से गिरा दिया। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री ने विधेयक को प्रवर समिति का सौंपने का प्रस्ताव रखा। इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विपक्ष की सहमति के बावजूद लोकायुक्त विधेयक पारित न करने पर उठे सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा का सदन में संख्याबल है। इस स्थिति में ऐसा आक्षेप नहीं चाहते थे कि इस व्यापक प्रभाव वाले कानून में किसी पक्ष को सुना नहीं गया।
लोकायुक्त कानून में समस्त लोकसेवक परिधि में आते हैं। तबादला विधेयक में सभी कार्मिक परिधि में आते हैं। इसलिए सरकार ऐसा आक्षेप नहीं चाहती थी कि बहुमत के आधार पर विधेयक पारित करा दिए।
वहीं, मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि सत्तापक्ष को अभी भी लग रहा है कि इसमें और अधिक सुधार की आवश्यकता है। शायद यही कारण है कि विपक्ष की सहमति के बावजूद इसे प्रवर समिति को भेजा गया।
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