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    संजीवनी परिवार की बूटियों की होगी पहचान, आयुष विभाग तैयार कर रहा ब्ल्यू प्रिंट

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2016 12:01 PM (IST)

    काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने संजीवनी शोध अभियान के सदस्याओं और विभागीय अधिकारियों से तमाम दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संवर्धन के लिए नीति बनाने को कहा।

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में संजीवनी परिवार की अज्ञात वन औषधियों की पहचान, प्रामाणिक द्रव्यों का संग्रहण कर हर्बेरियम तैयार किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इस संबंध में आयुष महकमे को ब्ल्यू प्रिंट तैयार करने के निर्देश दिए।

    विधानसभा में शुक्रवार को काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने आयुर्वेद निदेशालय और संजीवनी शोध अभियान के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने अभियान के सदस्याओं और विभागीय अधिकारियों से तमाम दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संवर्धन के लिए नीति बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य में 65 फीसद भूमि वनाच्छादित है। इन्हीं पर्वतीय वनों में दुर्लभ संजीवनी बूटी भी है, जो अब विलुप्त है। चमोली जिले के द्रोणागिरी पर्वत में संजीवनी बूटी पाई गई थी। रामायण में इसका वर्णन मिलता है।

    उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को मिशन के रूप में कार्य करना होगा। औषधीय वनस्पतियों के विकास एवं उत्पादन से प्रदेश की कई समस्याओं का समाधान मुमकिन है। लोगों को रोजगार मिलने के साथ पलायन पर रोक लगेगी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उत्तराखंड को जड़ी-बूटी प्रदेश बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। जड़ी-बूटियों को संरक्षित कर उन्हें अग्नि से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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    उन्होंने कहा कि संजीवनी के लिए शोध कार्य को मंजिल तक पहुंचाने के लिए सरकार विशेषज्ञों की मदद करेगी। उन्होंने आयुष निदेशक को हर्बल के क्षेत्र में सक्रिय लोगों का वृहद सम्मेलन कराने और इसमें ऋषिकुल, आयुर्वेद और फार्मा इंडस्ट्रीज को भी आमंत्रित करने के निर्देश दिए। सम्मेलन में उन लोगों को भी बुलाया जाएगा जो विशेष वनस्पतियों से असाध्य रोगों का इलाज करते हैं।

    आयुष मंत्री ने बताया कि बीती फरवरी में केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने जड़ी-बूटी खासतौर पर संजीवनी के शोध कार्य के लिए फंड मुहैया कराने का भरोसा दिया था। बैठक में आयुष निदेशक डॉ एके त्रिपाठी, जड़ी-बूटी एवं सगंध पादप के पूर्व सलाहकार डॉ मायाराम उनियाल, डा विनोद उपाध्याय, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के डॉ डीसी सिंह, डॉ दीपक सेमवाल और राजेंद्र डोभाल मौजूद थे।

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