कारोबारी आरटीआइ कार्यकर्ता को बताया पूर्व कर्मचारी
देहरादून में वन विकास निगम का कारनामा सामने आया है। निगम ने संबंधित आरटीआइ कार्यकर्ता को ही अपना पूर्व कर्मचारी बता डाला।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: सूचना का अधिकार अधिनियम के इतिहास में संभवत: यह पहला मामला होगा, जिसमें जांच से बचने के लिए किसी संस्थान ने झूठी कहानी बनाते हुए संबंधित आरटीआइ कार्यकर्ता को ही अपना पूर्व कर्मचारी बता डाला हो। वन विकास निगम ने यह कारनामा किया है।
आरटीआइ क्लब के महासचिव अमर सिंह धुन्ता की एक अपील की सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने वन निगम में नीलामी घोटाले की विजिलेंस जांच की संस्तुति की थी। इस पर शासन ने जब वन निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) से जवाब मांगा तो उन्होंने आरटीआइ कार्यकर्ता अमर सिंह धुन्ता को निगम का पूर्व कर्मचारी बताते हुए उल्टा उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर दिया, जबकि असल में आरटीआइ कार्यकर्ता पेशे से कारोबारी हैं और उन्होंने नौकरी कभी की ही नहीं।
आरटीआइ कार्यकर्ता धुन्ता ने वन निगम के अध्यक्षों के लिए समय-समय पर खरीदे विभिन्न साजो-सामान के बारे में जानकारी मांगी थी। तय समय पर सूचना न मिलने पर अमर सिंह धुन्ता ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान पता चला था कि निगम ने वर्ष 2015 में करीब 60 लाख रुपये के सामान को महज 15 हजार रुपये मे नीलाम कर दिया।
इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए राज्य सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने मई में सामान खरीद व उन्हें कौड़ियों के भाव नीलाम करने के मामले की विजिलेंस जांच के लिए मुख्य सचिव को कहा था। आयोग के आदेश के क्रम में अब जब शासन ने निगम के प्रबंध निदेशक से जवाब मांगा तो उन्होंने आरटीआइ कार्यकर्ता को पूर्व कर्मचारी बताने की बात कह दी।
प्रबंध निदेशक एसटीएस लेप्चा की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया कि अमर सिंह धुन्ता पूर्व कर्मचारी होने के बावजूद पोषण संस्थान को बार-बार सूचनाएं मांग कर बदनाम कर रहे हैं। पत्र में उन सामान की सूची भी दी गई है, जिन्हें नीलाम किया गया है और सभी सामान को खराब भी बताया गया।
पत्र के आधार पर विजिलेंस जांच डंप
शासन को यह पत्र एसटीएस लेप्चा ने 10 अगस्त 2017 को लिखा और उनकी बातों के आधार पर शासन ने भी मान लिया कि अमर सिंह धुन्ता पूर्व कर्मचारी हैं और व्यक्तिगत कारणों से बेवजह सूचनाएं मांग रहे हैं। यही वजह है कि इसके बाद विजिलेंस जांच को लेकर कोई कवायद नहीं की गई।
दरअसल, धुन्ता ने विजिलेंस जांच की कार्रवाई जानने के लिए आरटीआइ लगाई थी और जवाब में उन्हें यह पत्र प्राप्त हुआ। निगम के इस रवैये से खिन्न अमर सिंह धुन्ता प्रबंध निदेशक को मानहानि का कानूनी नोटिस भेजने की तैयारी कर रहे हैं।
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