भाजपा में खुद को असहज महसूस कर रहे पूर्व कांग्रेसी
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेता अभी भाजपा में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। ये नेता प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दिल्ली दरबार तक दस्तक दे चुके हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सत्तारूढ़ भाजपा में अंदरखाने असंतोष बढ़ने के संकेत साफतौर पर महसूस किए जा रहे हैं। इसकी वजह कांग्रेस से भाजपा में गए दिग्गज नेताओं को माना जा रहा है। पार्टी के भीतर गाहे-बगाहे सामने आ रहे वाकये जाहिर कर रहे हैं कि ये नेता खुद को सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। ऐसा हुआ तो आने वाले समय में सरकार और संगठन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
विधानसभा चुनाव से काफी पहले ही कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अपनी पार्टी को तगड़ा झटका देकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस अपने अंदरूनी असंतोष और टूट के चलते विधानसभा चुनाव में करारी हार का स्वाद चख चुकी है।
वहीं, भाजपा में आने वाले अधिकतर नेता वर्तमान में विधायक और मंत्री पद की अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन भाजपा का अनुशासन और कैडर को अधिक तवज्जो के चलते इनमें से कई को तालमेल बिठाने में दिक्कतें पेश आती दिख रही हैं।
भाजपा सरकार के अब तक तकरीबन पांच माह के कार्यकाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें इन्हें खुद को असहज पाते हुए देखा गया है।
हरिद्वार जिले में तो ऐसे एक से अधिक मामले पार्टी के भीतर खलबली पैदा कर चुके हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए एक काबीना मंत्री और भाजपा कैडर के ही एक मंत्री और मेयर के साथ विवाद का मसला अभी थमा नहीं था कि जिले में ही क्षेत्रीय सांसद और कांग्रेस से भाजपा का दामन थाम चुके एक विधायक के बीच तनातनी ने पार्टी के माथे पर बल डाल दिए हैं।
इस मामले में दोनों पक्षों के बीच बकायदा लॉबिंग सामने आ चुकी है। विधायक के पक्ष में कांग्रेस से आने वाले नेता एकजुट दिखाई दिए हैं। वहीं काबीना मंत्री व पूर्व कांग्रेस नेता अपने विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों के असंतोष को थामने के लिए स्थानीय अस्पताल में चिकित्सकों की तैनाती की गुहार लगा चुके हैं।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं की कार्यप्रणाली और मनचाही पोस्टिंग को लेकर दबाव बनाने को लेकर सरकार और संगठन के स्तर पर अधिक सतर्कता इन नेताओं को असहज बनाए हुए है। यह दीगर बात है कि भाजपा के अनुशासन को देखते हुए सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से ये नेता भी बच रहे हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से लेकर दिल्ली दरबार तक ये दस्तक दे चुके हैं।
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