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    उत्तराखंड: पंतजी की पोटली में फीलगुड की बाजीगरी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 09 Jun 2017 04:30 PM (IST)

    पहला बजट होने के कारण माना जा रहा था कि सरकार इसमें कुछ कड़े फैसले शामिल कर सकती है, लेकिन वित्त मंत्री इन सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए फील गुड बजट लेकर आए।

    उत्तराखंड: पंतजी की पोटली में फीलगुड की बाजीगरी

    देहरादून, [विकास धूलिया]: गुरुवार को उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार का पहला बजट विधानसभा में पेश किया गया। पहला बजट होने के कारण माना जा रहा था कि सरकार इसमें कुछ कड़े फैसले शामिल कर सकती है। खासकर, जिस तरह के कमजोर वित्तीय हालात से राज्य गुजर रहा है, उसमें नए करों की संभावना नजर आ रही थी, लेकिन वित्त मंत्री प्रकाश पंत इन सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए आम आदमी के लिहाज से फील गुड बजट लेकर आए। दिलचस्प बात यह है कि नए बजट में सरकार ने जिन आकर्षक नजर आ रही योजनाओं की झलक दिखाई है, उनका असर तुरंत नहीं, अगले पांच सालों के दौरान दिखेगा।

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    उत्तराखंड में पहली बार कोई सियासी पार्टी तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत हासिल कर सत्तासीन हुई है। भाजपा ने नमो लहर के बूते उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में रिकार्ड 57 सीटों पर जीत दर्ज की। इस कदर भारी भरकम बहुमत मिला है तो भाजपा सरकार पर जन अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव भी उतना ही ज्यादा है। यही वजह भी रही कि त्रिवेंद्र सरकार के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने गुरुवार को जब राज्य का पहला पेपरलैस बजट सदन में पेश किया तो इसमें समाज के हर तबके लिए कुछ न कुछ जरूर रखा नजर आया। बात चाहे महिलाओं की हो या छात्रों की अथवा गरीब तबके और किसानों की, सबके चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए बजट में प्रावधान शामिल किए गए।

    दरअसल, यह बजट तैयार करने में सरकार ने खासी सूझबूझ दिखाई। सरकार की आय बढ़ाने और आम जनता को प्रभावित करने वाले कठोर फैसले बजट से पहले ही ले लिए गए। मसलन, एपीएल के खाद्यान्न की कीमतों, पानी और विद्युत टैरिफ में भारी बढ़ोतरी और आबकारी में दो फीसद सेस लगा दिया गया। बाकी सभी 17 कर जीएसटी में मर्ज हो गए हैं। ऐसे में सरकार को राज्य शेयर के रूप में वह हिस्सा केंद्र से मिलेगा। जब मौका आया बजट का तो इसमें कोई नया कर लगाने की जरूरत ही नहीं रह गई थी।

    यानी, कठोर फैसलों को लेकर एक तरफ सरकार ने बाजीगरी की और दूसरी ओर एक साल के बजट में अपना पांच साल का रोडमैप शामिल कर जनता को सुखद अहसास से भरने का चातुर्य दिखाया। हर गांव तक बिजली और सड़क, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा जैसे मुद्दे सीधे आम आदमी को प्रभावित करते हैं, जिनका बजट में जिक्र किया गया है। 

    दिलचस्प बात यह कि केंद्र की योजनाओं को भी बजट का हिस्सा बनाया गया है। लगभग 12 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड को 2020 तक पूरा करने का वादा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति, भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अंतर्गत 2022 तक हर परिवार को छत देने का लक्ष्य कुछ इसी तरह के उदाहरण हैं। 

    केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं को राज्य का जामा पहनाकर वित्त मंत्री ने चतुराई से लोगों को सुखद अहसास कराने का कोशिश इस बजट में की है। बजट में सरकार ने जहां पुरानी योजनाओं को नया नाम देकर लोगों को लुभाया है, वहीं नई योजनाओं के बजट में ज्यादा प्रावधान नजर नहीं आते हैं। इसके पीछे सरकार की मंशा मौजूदा योजनाओं को ही अपने अंदाज में लोगों को परोसने की है। कुल मिलाकर यह बजट आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक चतुरता दर्शाता है।

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