उत्तराखंड में सरकार बदलते ही घोटालों की फाइलों की खोज खबर हुई शुरू
नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच घोटालों की फाइल खुलने की तैयारी शुरू हो गई। इस कड़ी में समाज कल्याण विभाग में हुए घोटालों की फाइल खुलेंगी।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच घोटालों की डंप पड़ी फाइलों को खोलने की सुध अधिकारियों को आने लगी है। इस कड़ी में समाज कल्याण विभाग में देहरादून जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति उपयोजना के तहत किए गए 80.97 लाख रुपये के गोलमाल की फाइल के पन्ने उघाड़ने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। इस फाइल पर निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत 15 दिसंबर 2016 को विजिलेंस जांच की संस्तुति कर चुके थे और तब से यह अपर सचिव कार्यालय में धूल फांक रही है। हालांकि, अब इस फाइल की खोज खबर शुरू कर दी गई है।
समाज कल्याण सचिव भूपिंदर कौर ने फाइल को तलब करने के निर्देश जारी किए हैं। गंभीर यह कि गोलमाल की जांच को लेकर अपर सचिव मनोज चंद्रन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। विभाग के तत्कालीन मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के हस्ताक्षर वाली 'टीपें और आज्ञायें' में कहा गया था कि अपर सचिव ने विभागाध्यक्ष/निदेशक की जांच रिपोर्ट का कोई संज्ञान न लेते हुए यह मत प्रकट किया है कि प्रकरण में किसी भी प्रकार की अनियमितताएं नहीं हुईं। जबकि, तमाम जांचों में योजना में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं होने का पता चला है।
इस 'टीपें-आज्ञायें' में प्रकरण की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की संस्तुति करते हुए विभागीय मंत्री ने पत्रावली मुख्यमंत्री के अनुमोदन को भी भेजी थी। इसी पत्रावली पर मुख्यमंत्री ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। गौर करने वाली बात यह कि संस्तुति के बाद यह फाइल अपर सचिव को भी भेजी गई और तब से यह डंप पड़ी है।
इस संबंध में सचिव (समाज कल्याण) भूपिंदर कौर का कहना है कि अपर सचिव से फाइल तलब की जा रही है। देखा जाएगा कि विजिलेंस जांच को लेकर इस पर क्या आदेश दिए गए हैं। इसके अनुसार ही निर्णय लिया जाएगा।
योजना में यह है गोलमाल
-वर्ष 2006-07 में देहरादून के तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी एनके शर्मा ने नारी निकेतन में विभिन्न कार्यों के नाम पर 4.20 लाख रुपये का भुगतान फर्जी फर्म को कर दिया। जांच में ऐसी कोई फर्म नहीं मिली।
-निदेशक समाज कल्याण की वर्ष 2014 की जांच में एनके शर्मा के कार्यकाल में 50 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की गई। जांच में सामने आया कि अवस्थापना मद से विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों/निजी हित में कई निर्माण कार्य कर दिए।
-वर्ष 2007-08 में एनके शर्मा के कार्यकाल में 26.37 लाख रुपये के कार्य जिलास्तरीय समिति ने जिस स्थान के लिए स्वीकृत किए थे, वे कार्य अन्यत्र करा दिए गए। अनुसूचित जाति अवस्थापना विकास के ये कार्य जहां किए गए, वहां अनुसूचित जाति के किसी व्यक्ति का निवास नहीं मिला।
-एनके शर्मा के ही कार्यकाल में अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार उत्पीडऩ अधिनियम योजना के तहत 40 हजार रुपये का मनमाना भुगतान पाया गया। वर्ष 2007 में तत्कालीन प्रमुख सचिव न्याय ने इसकी वसूली व अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा था।
जांचों को आंच मिलने से खलबली
प्रदेश में नई सरकार के गठन से पूर्व ही घोटालों की जांच को आंच मिलने लगी है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त शासन की कवायद का ही असर है कि फाइलों में 'दफन' घोटालों को अब उजागर करने का सिलसिला चल पड़ा है। इससे जहां अफसरों में खलबली की स्थिति है, वहीं नई सरकार से भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की आस भी जगने लगी है।
ऊधमसिंहनगर में एनएच-74 के चौड़ीकरण में 118 करोड़ रुपये के घोटाले में दोषियों पर कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लि. (पिटकुल) में 24 करोड़ रुपये के ट्रांसफार्मर खरीद की जांच शुरू करने की तैयारी भी हो गई है। इसमें वर्ष 2015 में खरीदे गए ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता खराब निकली है और पिटकुल के प्रबंध निदेशक ने स्पष्ट किया है कि प्रकरण के विभिन्न पहलुओं की गंभीरता से जांच की जाएगी। कंपनी का स्टेटस पता कराया जा रहा है और खरीद से जुड़े अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का निर्णय लिया गया है।
दूसरी तरफ, फर्जी दाखिले दिखाकर एक अरब से अधिक की छात्रवृत्ति के गोलमाल की परत खोलने की भी अब तैयारी की जा चुकी है। मुख्य सचिव ने विजिलेंस जांच की अनुमति दे दी है और मुख्यमंत्री की ताजपोशी के बाद उनकी अनुमति लेकर एफआइआर दर्ज कराने का निर्णय शासन ने लिया है। इसी तरह अभी भी तमाम घपलों की फाइलें शासन या विभागों में डंप पड़ी हैं। उम्मीद की जा रही है कि नई सरकार के गठन के बाद ऐसे मामले खोले जाएंगे और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।