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    यह वातावरण हमारा है, इसे स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी भी हम सबकी है

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 19 Oct 2017 03:54 PM (IST)

    दून में प्रदूषण का ग्राफ पहले ही मानक से दोगुना जा पहुंचा है और ऐसे में दीपावली के दिन यह खतरनाक स्तर पर न जा पहुंचे, इसका ध्यान रखा जाना भी जरूरी है।

    यह वातावरण हमारा है, इसे स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी भी हम सबकी है

    देहरादून, [जेएनएन]: यह वातावरण हमारा है और हम को ही इसमें सांस लेनी है। लिहाजा, इसे स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी भी हम सब पर है। दून में प्रदूषण का ग्राफ पहले ही मानक से दोगुना जा पहुंचा है और ऐसे में दीपावली के दिन यह खतरनाक स्तर पर न जा पहुंचे, इसका ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। यह तभी हो सकता है, जब हम पटाखों का प्रयोग कम से कम करें।

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    पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु प्रदूषण के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस वर्ष अब तक हवा में प्रदूषण के कणों (पार्टिकुलेट मैटर/पीएम) का ग्राफ औसतन 226 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। जबकि मानकों के अनुरूप यह 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि दीपावली पर जमकर पटाखे जलाए जाएंगे तो हालात और भी खतरनाक हो जाएंगे। 

    पिछली तीन दीपावली की बात करें तो उस दिन विभिन्न स्थानों पर प्रदूषण का ग्राफ तीन गुना से भी अधिक रिकॉर्ड किया गया। यह स्थिति श्वास की बीमारी से ग्रसित, बूढ़े लोगों और बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। साथ ही एक स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमारी की तरफ धकेल सकती है। 

    हालांकि, थोड़ा राहत की बात यह है कि पिछली दीपावली को प्रदूषण का ग्राफ इससे दो साल की दीपावली से अपेक्षाकृत कुछ कम रहा था। वजह है कि लोगों में अब जागरूकता बढ़ रही है। लोग समझदार हो रहे हैं। यहां तक कि बच्चों में भी समझदारी का ग्राफ बढ़ा है और वह भी पटाखों से परहेज करने लगे हैं। इस दीपावली यही उम्मीद है कि दूनवासी अपनी जिम्मेदारी और भी जिम्मेदारी से निभाएंगे और प्रदूषण नियंत्रण में योगदान करेंगे।

    दून में इस तरह बढ़ा वायु प्रदूषण

    (इस वर्ष का औसत)

    घंटाघर-----------------193.54

    रायपुर रोड------------208.68

    आइएसबीटी-----------276.50

    ध्वनि प्रदूषण पर भी लगेगी लगाम

    यदि दीपावली पर पटाखे जलाने का ग्राफ घटेगा तो न सिर्फ वायु प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि इससे ध्वनि प्रदूषण भी उसी अनुपात में कम होगा। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि दून में ध्वनि प्रदूषण का ग्राफ भी पहले से ही अधिक रहता है।

     

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