उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, देश में राज्य छठवें स्थान पर
देश में उत्तराखंड हाथी की संख्या के मामले में छठवें स्थान पर है, लेकिन यहां गजराज की संख्या न सिर्फ स्थिर है, बल्कि पिछली गणना के मुकाबले इसमें 60 क ...और पढ़ें

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राष्ट्रीय पशु बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी के बाद अब वन्यजीव संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड से एक और अच्छी खबर आई है। 'विश्व हाथी दिवस' पर शनिवार को नई दिल्ली में जारी 'राष्ट्रीय विरासत पशु' हाथी गणना के आंकड़े कुछ सुकून देने वाले रहे। हालांकि, देश में उत्तराखंड छठवें स्थान पर है, लेकिन यहां गजराज की संख्या न सिर्फ स्थिर है, बल्कि पिछली गणना के मुकाबले इसमें 60 का इजाफा हुआ है।
उत्तर भारत में हाथियों की आखिरी पनाहगाह उत्तराखंड में राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही 11 वन प्रभागों में यमुना से लेकर शारदा तक 6643.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है हाथियों का बसेरा। 2015 के बाद इस मर्तबा 23 मई से 27 मई तक यहां प्रत्यक्ष और लीद क्षय विधि से हाथियों की गणना की गई। उत्तराखंड समेत देश के 23 राज्यों में हुई हाथी गणना के नतीजे शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने जारी किए।
गणना के मुताबिक देशभर में हाथियों की संख्या 27312 सामने आई। इसमें उत्तराखंड के 1839 हाथी शामिल हैं। इससे पहले उत्तराखंड में 2015 में हुई गणना में यहां 1779 हाथी थे। इस मर्तबा तराई आर्क लैंडस्केप में हाथी गणना के टीम लीडर रहे विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के एके सिंह के मुताबिक राज्य में हाथियों की संख्या स्थिर बनी हुई है। यह अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि घनत्व के मामले में यहां स्थिति बेहतर है। 0.45 वर्ग किमी पर एक हाथी है।
राज्य में हाथी
गणना वर्ष-------संख्या
2003-------1582
2005-------1510
2008-------1346
2012-------1559
2015-------1779
2017-------1839
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