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उत्‍तराखंड: भंडारी पर रार, घर वापसी से कांग्रेस का इन्कार

भीमताल से विधायकी छोड़कर दान सिंह भंडारी ने कांग्रेस में लौटने की घोषणा भले ही की हो, लेकिन कांग्रेस उन्हें अपना सदस्य मानने को राजी नहीं है।

By sunil negiEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 10:48 AM (IST)

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री और संगठन के मुखिया किशोर उपाध्याय के बीच राज्यसभा चुनाव को लेकर खिंची तलवारें म्यान में नहीं लौटी हैं। सरकारी ओहदों में पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं की भविष्य में उपेक्षा होने की स्थिति में संगठन के तेवर सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। दोनों के बीच संवादहीनता के हालात हैं। संगठन को विश्वास में लिए बगैर किसी अन्य दल के नेता को पार्टी की सदस्यता दिलाने के मामले में दोनों के बीच मतभेद उजागर हुए हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत की मौजूदगी में हुए एक कार्यक्रम में भाजपा के साथ ही भीमताल से विधायकी छोड़कर दान सिंह भंडारी ने कांग्रेस में लौटने की घोषणा भले ही की हो, लेकिन कांग्रेस उन्हें अपना सदस्य मानने को राजी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भंडारी के पार्टी में शामिल होने से इन्कार किया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी और मुख्यमंत्री के बीच राज्यसभा चुनाव के दौरान संवादहीनता पार्टी के भीतर अंतर्कलह को और तल्ख कर चुकी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी जब राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के रूप में किशोर उपाध्याय के नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगा रही थी, उस वक्त पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यमंत्री के खासमखास पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाने की तैयारी की जा चुकी थी। इस पूरे प्रकरण से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय खासे आहत नजर आए। टम्टा के राज्यसभा जाने के बाद किशोर और हरीश रावत के बीच संवादहीनता दूर होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन ऐसा अभी तक हो नहीं सका है।

इसकी बानगी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की हरिद्वार रैली के बाद भी देखने को मिली। शाह ने हरिद्वार में जनसभा में मुख्यमंत्री हरीश रावत को विधायकों की खरीद-फरोख्त, आबकारी और स्टिंग समेत भ्रष्टाचार के आरोपों पर जब निशाने पर लिया तो संगठन के मुखिया ने सरकार के मुखिया के बचाव में आगे आने से गुरेज किया। किशोर के तेवर जाहिर कर रहे हैं कि संगठन ने यूं ही दूरी बनाए रखी तो भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री को भविष्य में अपनी लड़ाई खुद ही लडऩी पड़ सकती है। यह दीगर बात है कि प्रदेश में 55 दिन के सियासी संकट और मुख्यमंत्री का स्टिंग सामने आने के बाद कांग्रेस के बागी नेताओं और भाजपा के खिलाफ किशोर काफी मुखर रहे थे।

यही नहीं, सरकारी ओहदे बांटने के मुद्दे पर भी सरकार और संगठन में तनातनी बढ़े तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता। किशोर उपाध्याय सियासी संकट के दौरान जिलों में कांग्रेस की लोकतंत्र बचाओ यात्रा की मशाल थामने वाले जिलाध्यक्षों के साथ ही सक्रिय ब्लाक अध्यक्षों को दायित्व से नवाजने की पुरजोर पैरवी कर रहे हैं। इस संबंध में वह मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं। दायित्व बंटने में विधायकों को कार्यकर्ताओं पर तरजीह मिली तो संगठन खुलकर अपने गुस्से का इजहार कर सकता है। इस संबंध में किशोर का कहना है कि कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव जीतने भर के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बीच बढ़ती दूरियां पूर्व विधायक दान सिंह भंडारी को लेकर भी साफ नजर आ रही हैं। भीमताल के कालापाताल में मुख्यमंत्री हरीश रावत की मौजूदगी में हुए एक कार्यक्रम में भंडारी ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने भंडारी के कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत भी किया, लेकिन इस संबंध में किशोर उपाध्याय ने साफ तौर पर कहा कि भंडारी कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में शामिल होने की निर्धारित प्रक्रिया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी दोनों स्तरों पर भंडारी के पार्टी में शामिल होने की जानकारी नहीं है। किशोर की तल्खी बयां कर रही है कि सरकार और संगठन के संबंध अभी सामान्य नहीं हो पाए हैं।


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