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उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार को हाईकमान की मंजूरी लेंगे सीएम

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जल्द कैबिनेट विस्तार के संकेत दिए। कैबिनेट विस्तार को लेकर वह एक-दो दिन में दिल्ली जाकर पार्टी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 11:54 AM (IST)
उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार को हाईकमान की मंजूरी लेंगे सीएम

देहरादून, राज्य ब्यूरो, [जेएनएन]: प्रदेश में बजट पर चल रहा ऊहापोह समाप्त होने के बाद अब मुख्यमंत्री पर कैबिनेट विस्तार का दबाव है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जल्द कैबिनेट विस्तार के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि सरकार हर चीज समयानुसार कर रही है। कैबिनेट विस्तार को लेकर वह एक-दो दिन में दिल्ली जाकर पार्टी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे।
प्रदेश का बजट पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों को अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में संभावित आचार संहिता को देखते हुए उनकी प्राथमिकता इससे पहले ही सारे कार्यों को शुरू कराने की है। इसलिए अब वह 'सीएम इन हरी' हैं।

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बीजापुर हाउस में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार समय के अनुसार सभी कार्य कर रही है। इसी कड़ी में अब जल्द कैबिनेट विस्तार होगा। नए नामों के विचार को वह केंद्रीय नेतृत्व से भी मुलाकात कर रहे हैं।
नए मंत्री के पास काम करने के लिए समय कम होने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि जिसमें दौडऩे की ताकत होगी, वह तीन माह का काम एक माह में ही कर जाएगा। बजट पारित होने के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब विकास कार्यों में तेजी लानी है।
उन्होंने बताया कि अधिकारियों को कहा गया है कि नाबार्ड व एडीबी से जो भी मदद लेनी है उस पर शीघ्र कार्य करे ताकि जो कर्ज ले रहे हैं उसे जल्द ही खर्च भी किया जा सके। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में आचार संहिता लगने की संभावना है। ऐसे में सरकार का मकसद इससे पहले ही तमाम योजनाओं को शुरू करना होगा।

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कैबिनेट फैसलों को चुनावी फैसले कहे जाने को लेकर पूछे गए अन्य सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब हर कोई चुनाव के मद्देनजर कदम उठा रहा है तो वह तो एक सक्रिय राजनीतिक व्यक्ति हैं।
खुद को समानांतर सरकार न समझें निकाय
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि निकाय खुद को समानांतर सरकार न समझें। उन्होंने कहा कि निकाय अनावश्यक रूप से इस स्थिति को पाले हुए हैं कि वे विभागों को अपने भीतर रखेंगे। उनको योजना बनाने व देखने की स्वायत्तता है, लेकिन केंद्र से अवमुक्त पैसे को किस तरह इस्तेमाल किया जाए यह देखना सरकार का काम है। वे समानांतर व्यवस्था नहीं बना सकते।
मुख्यमंत्री ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि अमृत योजना के तहत शासन की ओर से पैसा जारी होने के बावजूद निकाय स्तर से इसे जारी नहीं किया जा रहा है।
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