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    सहकारिता चुनावः उत्तराखंड में भाजपा की कांग्रेस पर टेढ़ी नजर

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 19 Jul 2017 04:58 PM (IST)

    प्रदेश में सहकारिता के चुनाव में भले ही करीब चार महीने से ज्यादा वक्त बचा हो, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने अभी से इस मोर्चे पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने की ठान ली है।

    सहकारिता चुनावः उत्तराखंड में भाजपा की कांग्रेस पर टेढ़ी नजर

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में सहकारिता के चुनाव में भले ही करीब चार महीने से ज्यादा वक्त बचा हो, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने अभी से इस मोर्चे पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने की ठान ली है। कांग्रेस से जुड़े रहे सहकारिता क्षेत्र के दिग्गज अब भाजपा का रुख कर रहे हैं। वहीं, बड़े सहकारी संघों को कांग्रेस के कब्जे से मुक्त कराने की मुहिम सरकार ने छेड़ दी है। 

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    प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाने के बाद भाजपा को पहली परीक्षा सहकारिता चुनाव में देनी होगी। नगर निकायों से पहले ही चालू वर्ष में ही आगामी दिसंबर से प्रारंभिक सहकारी समितियों (पैक्स) के चुनाव शुरू हो जाएंगे। इसके बाद अगले वर्ष की पहली छमाही तक जिला और राज्यस्तरीय सहकारी संस्थाओं के चुनाव होंगे। 

    फिलहाल सत्तारूढ़ दल सहकारिता में पैठ को लेकर लंबा इंतजार करने और पैक्स से इसकी शुरुआत करने के मूड में नहीं है। सहकारिता में पैठ मजबूत करने के लिए भाजपा अपनी मुहिम तेज कर चुकी है। इसके लिए पार्टी को सहकारिता क्षेत्र के कांग्रेसी दिग्गजों को अपने पाले में लाने से गुरेज नहीं है। 

    उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी में ऐसे सहकारिता पर पकड़ रखने वाले कई नेता भाजपा के साथ आ चुके हैं। पार्टी ने सबसे पहले राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर निशाना साधा था। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर कब्जा करने में पार्टी कामयाब हो चुकी है। 

    इसके बाद पार्टी राज्य दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद को भी अपनी झोली में डाल चुकी है। पार्टी की नजरें अब मार्केटिंग फेडरेशन पर टिकी हैं। इस फेडरेशन पर कांग्रेस की पकड़ बेहद मजबूत है। 

    हालांकि, ये भी तकरीबन तय माना जा रहा है कि मार्केटिंग फेडरेशन पर पैठ बनाने के लिए भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी होगी। लिहाजा पार्टी उतना ही सतर्कता और सावधानी से अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुटी है। 

    दरअसल, सहकारिता पर भाजपाई दांव को कामयाब बनाने में उसका दामन थाम चुके पुराने कांग्रेसी भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में सहकारिता मंत्री रहे यशपाल आर्य और राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष रह चुके उनके पुत्र व विधायक संजीव आर्य अब भाजपा के साथ मुस्तैदी से खड़े हैं। 

    यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही सहकारी समितियों से लेकर संघों से जुड़े कई नेता भाजपा में शामिल हो चुके थे। संजीव आर्य की मानें तो आने वाले वक्त में कई सहकारी संघों में भाजपा की पकड़ मजबूत होने जा रही है। 

    प्रदेश में सहकारिता चुनाव प्रारंभ होने से पहले भाजपा अन्य कई कांग्रेसी दिग्गजों को भी अपने साथ लाने को दांव खेलने की तैयारी में है। इसके पीछे मंशा साफ है कि सहकारिता के क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की जड़ें ढीली कर भाजपा की की पैठ गहरी की जाए। वहीं सहकारिता राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत का कहना है कि सहकारिता में भाजपा संगठन को नए सिरे से मजबूती के साथ खड़ा किया जाएगा।

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