इस ट्रैक को अंग्रेजों ने बनाया, अब भुला दिया अपनों ने
ब्रिटिश भारत के वायसराय रहे लार्ड कर्जन ने उत्तराखंड के जिस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किया, उसे उत्तराखंड की सरकारों ने भुला दिया।
गोपेश्वर, [हरीश बिष्ट]: 1899 से 1905 तक ब्रिटिश भारत के वायसराय रहे लार्ड कर्जन ने उत्तराखंड के जिस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किया, उसे उत्तराखंड की सरकारों ने भुला दिया। लार्ड कर्जन के शासनकाल में कुमाऊं सीमा से लेकर सीमांत चमोली जिले के अंतिम छोर तक 200 किमी लंबे पैदल ट्रैक का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि पर्यटक इस पर आवागमन कर यहां के खूबसूरत पर्यटन स्थलों को निहार सकें। मगर, उपेक्षित पड़े होने के कारण पर्यटक आज इस ट्रैक से मुंह मोड़ रहे हैं।
अंग्रेजी शासनकाल के दौरान वर्ष 1902 में तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन उत्तराखंड भ्रमण पर आए थे। यहां की सुंदरता से वे इस कदर अभिभूत हुए कि ग्वालदम से तपोवन तक 200 किमी लंबे पैदल ट्रैक का निर्माण करवा दिया। ट्रैक अस्तित्व में आने के बाद देशी-विदेशी पर्यटक उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों का रुख करने लगे।
मुल्क की आजादी के बाद भी वर्षों तक यह सिलसिला बदस्तूर चलता रहा। उत्तराखंड बनने के बाद उम्मीद थी कि यहां की सरकारें इस ट्रैक पर सुविधाओं का विकास करेंगी। परंतु, अफसोस! किसी भी सरकार ने इधर झांकना तक जरूरी नहीं समझा। नतीजा, सुविधाओं के अभाव में पर्यटक अब यहां आने से भी मुंह मोड़ने लगे हैं।
लार्ड कर्जन ट्रैक पर पडऩे वाले रामणी गांव निवासी 80 वर्षीय हयात सिंह बताते हैं कि कभी वर्षभर इस ट्रैक पर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती थी। मगर, नाममात्र की सुविधाएं होने के कारण धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या घटती जा रही है। बताते हैं कि पर्यटकों की आमद बढऩे से स्थानीय युवाओं को पोर्टर व गाइड के रूप में रोजगार मिलने की संभावना थी।
लार्ड कर्जन ट्रैक पर पड़ने वाले पर्यटन स्थल
बालपाटा: उत्तराखंड की आराध्य नंदा देवी का मंदिर। यहां पर हर वर्ष श्री नंदा देवी लोकजात का आयोजन होता है।
सिंबे बुग्याल: पांच सौ मीटर लंबा यह बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
सप्तकुंड: इस पर्यटन स्थल पर सात ताल मौजूद हैं।
पाणा-ईराणी-रामणी: इन पर्यटन गांवों में प्रतिवर्ष पर्यटक आते हैं।
ग्वालदम: यह पर्यटन स्थल विदेशी पर्यटकों को सबसे अधिक भाता है
लार्ड कर्जन ट्रैक पर सुविधाएं
-पर्यटकों के रहने के लिए ग्वालदम, रामणी व तपोवन में सरकारी गेस्ट हाउस हैं। 200 किमी लंबे इस ट्रैक पर बीच में कहीं भी रहने के लिए भवन नहीं हैं। ट्रैक के बीच में पडऩे वाले गांवों में लोगों के घरों में पर्यटक रहते हैं। इसके साथ ही इस ट्रैक पर पर्यटकों साथ में टेंट समेत अन्य सामग्री ले जानी होती है।
बनाया गया है प्रस्ताव
चमोली के जिला पर्यटन अधिकारी सुरेश यादव के मुताबिक लार्ड कर्जन ट्रैक पर सुविधाओं के विकास के लिए पर्यटन विभाग कार्य कर रहा है। इस ट्रैक पर पेयजल समेत अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है। धनराशि मिलने पर क्षेत्र में सुविधाओं को विकसित करने का कार्य किया जाएगा।
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