हनुमानचट्टी-कुंडखाल ट्रैक से भी होगा फूलों की घाटी का दीदार
इस बार फूलों की घाटी तक ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क हनुमानचट्टी-कुंडखाल ट्रैक तैयार कर रहा है। इससे प्रकृति के नजारों का लुत्फ भी ले सकेंगे।
चमोली, [हरीश बिष्ट]: साहसिक पर्यटन के शौकीनों के लिए खुशखबरी। इस बार विश्व धरोहर फूलों की घाटी तक ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क हनुमानचट्टी-कुंडखाल ट्रैक तैयार कर रहा है। इस ट्रैक से पर्यटक फूलों की घाटी जाते हुए न केवल भारी-भरकम हिमखंडों व दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का दीदार कर सकेंगे, बल्कि प्रकृति के अद्भुत नजारों का भी लुत्फ भी ले सकेंगे। पार्क प्रशासन फूलों की घाटी के गेट खुलने से पहले ट्रैक को दुरुस्त करने का दावा कर रहा है।
समुद्रतल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी देश-दुनिया के पर्यटकों व प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल पाए जाते हैं। इस वर्ष एक जून से फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क में पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। वैसे तो बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोविंदघाट से 13 किमी आगे घांघरिया और यहां से तीन किमी आगे फूलों की घाटी का प्रमुख मार्ग है। ज्यादातर पर्यटक इसी रूट को घाटी में जाने के लिए चुनते हैं। लेकिन, इससे इतर भी एक और ट्रैक है, जो हनुमानचट्टी-कुंडखाल होते हुए घाटी पहुंचता है।
पिछले वर्ष भी नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने इस ट्रैक से पर्यटकों को घाटी में भेजने की रणनीति बनाई थी। लेकिन, ट्रैक पर भारी-भरकम हिमखंड जमे होने के कारण स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने यह जोखिम लेना मुनासिब नहीं समझा। सो, इस ट्रैक से पर्यटकों की आवाजाही नहीं हो पाई। लेकिन, इस बार पार्क इस ट्रैक से भी पर्यटकों को घाटी में भेजने के लिए कटिबद्ध है। पार्क के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि साहसिक पर्यटन के लिए यह ट्रैक बेहतर है।
पार्क की टीम ट्रैक की रेकी कर चुकी है। 25 किमी लंबे इस ट्रैक के चार स्थानों पर भारी-भरकम हिमखंड मौजूद हैं। कुछ स्थानों पर ट्रैक बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त भी हुआ है। डीएफओ ने दावा किया कि जल्द ही पार्क की टीम क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत व हिमखंड काटकर आवाजाही के लिए पैदल मार्ग बना देगी।
ब्रिटिश ट्रैकर्स का पसंदीदा ट्रैक
स्थानीय ट्रैकिंग एजेंसियों के मुताबिक हनुमानचट्टी-कुंडखाल-फूलों की घाटी ट्रैक ब्रिटिश ट्रैकर्स का पसंदीदा ट्रैक रहा है। जोशीमठ में एडवेंचर ट्रैकिंग के प्रबंधक संजय कुंवर ने बताया कि 16 वर्ष पूर्व तक ब्रिटिश पर्यटक इस ट्रैक से आवाजाही करते थे। हालांकि, पार्क के अधीन इस ट्रैक पर सुविधाएं शून्य हैं। इसके लिए पार्क प्रशासन को चाहिए कि पहले इस ट्रैक पर पेयजल समेत अन्य सुविधाएं सुनिश्चित कराए। कहा कि यह ट्रैक जोखिमभरा है, बावजूद इसके यहां अद्भुत नजारों का लुत्फ पर्यटक उठा सकते हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।