मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण के लिए केंद्र से मांगे 1000 करोड़
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण में 2017-18 का बजट सत्र आहूत करने व गैरसैंण में अवस्थापना विकास के लिए केंद्र से एक हजार करोड़ की वित्तीय मदद के अनुरोध का संकल्प पेश किया।
गैरसैंण, [राज्य ब्यूरो]: आखिर वही हुआ, जिसका अंदेशा था। उत्तराखंड की मौजूदा विधानसभा का अंतिम सत्र भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में संपन्न हो गया, मगर गैरसैंण राजधानी का लंबित मुद्दा इस मर्तबा भी शह-मात की सियासत के बीच गुम होकर रह गया। सरकार ने गैरसैंण के 'भविष्य' को लेकर कोई ऐलान नहीं किया। अलबत्ता, गैरसैंण के लिए सदन में आगे का रोडमैप जरूर रखा।
भाजपा इस मुद्दे पर गुरुवार को ही सदन के बहिष्कार का ऐलान कर चुकी थी, लिहाजा शुक्रवार को विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण में 2017-18 का बजट सत्र आहूत करने व गैरसैंण में अवस्थापना विकास के लिए केंद्र से एक हजार करोड़ की वित्तीय मदद के अनुरोध का संकल्प पेश किया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में यह ध्वनिमत से पारित भी हो गया। मुख्यमंत्री ने इसे गैरसैंण को प्रदेश के विकास की धुरी बनाने व जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उठाया गया कदम बताया।
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गैरसैंण में विधानसभा सत्र के अंतिम दिन सबकी निगाहें सरकार पर टिकी थीं। सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह कहकर उम्मीदों को बल भी दे दिया कि सरकार सदन में गैरसैंण के लिए आगे का रोडमैप रखेगी। कार्यवाही प्रारंभ हुई, तो बड़ी संख्या में लोग दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। मुख्यमंत्री का उद्बोधन शुरू होते ही पूरा सदन गौर से उन्हें सुनता रहा। गैरसैंण पर संकल्प प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि गैरसैंण पर बहुत कुछ कहा गया है। उत्तर प्रदेश के जमाने में यहां वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की मूर्ति की स्थापना होने पर गैरसैंण चर्चा में आया।
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इसके बाद यहां चुनावी कदम उठाए गए। राज्य गठन के बाद लोगों को उम्मीद थी कि गैरसैंण में राजधानी घोषित की जाएगी, मगर देहरादून को अस्थायी राजधानी बना दिया गया। 2014 से इस दिशा में सुनियोजित तरीके से कार्य शुरू किया गया है। पहले निर्णय लिया गया कि राजधानी के विषय में सक्षम राय बनाएंगे। 16 वर्ष के अंतराल में भावनात्मक की जगह राजनीतिक रूप से इस मसले को लिया जा रहा है। सरकार इस मामले में संयमित व सधे ढंग से आगे बढ़ रही है। सरकार ने तीन बार यहां सत्र आहूत किया, मगर कतिपय लोगों ने सदन नहीं चलने दिया। पहले दो बार सदन में व्यवधान उत्पन्न किया गया।
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इस बार उम्मीद थी कि नई सोच से काम होगा। इस मसले पर ठंडे दिमाग से कदम उठाने की जरूरत है, यह सबको समझना होगा। यहां अवस्थापना सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं। गैरसैंण के विकास के लिए जरूरी है कि राज्य के प्रमुख केंद्र इससे जुड़ें। इसके लिए गैरसैंण आने वाले मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा जा रहा है। सड़कों के निर्माण से विकास व आर्थिक क्षेत्र खोले जा सकते हैं। लोगों के लिए गैरसैंण जिले और ग्रीष्मकालीन राजधानी का मुद्दा हो सकता है। सरकार के लिए यह एक समग्र संतुलित विकास का रोडमैप है। गैरसैंण में हवाई पट्टी बनाने में सारेग्वाड डांडा पहाड़ से दिक्कत आ रही है। इस मसले पर केंद्र से परामर्श लेकर इसे घटाया जाएगा।
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गौचर में व्यावसायिक हवाई पट्टी बनाने के साथ ही धामदेवला और चौखुटिया में हेलीपैड बनाने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। भराड़ीसैंण में व्यावसायिक हेलीपैड की संभावना के लिए सचिव नागिरक उड्डयन को निर्देशित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए राज्य सरकार के संसाधन नाकाफी हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग चाहिए। उन्होंने इसके लिए सदन में केंद्र से एक हजार करोड़ की वित्तीय सहायता देने के अनुरोध का संकल्प प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे सदन में ध्वनिमत से पारित किया गया।
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