न मिली छत न हुआ विस्थापन
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: आपदा के नौ महीने बाद भी 163 गांव के पीड़ितों को अभी तक न तो छत मिली और न ही उनका विस्थापन हो पाया पाई है। इसके अलावा जिन लोगों की सरकार ने सुध ली तो उनमें मात्र पांच गांव के विस्थापन की फाइल शासन से लौटकर नहीं आई है।
चमोली जिले में वर्ष 2013 में आई आपदा से 84 और गांव तबाह होकर विस्थापन की श्रेणी के गांवों की संख्या बढ़कर 163 हो गई, लेकिन प्रशासन आपदा प्रभावितों के विस्थापन को लेकर भूमि चयन तक नहीं कर पाया। जिला प्रशासन ने मात्र पांच गांव के लिए भूमि चयन कर विस्थापन का प्रस्ताव शासन को भेजा है, मगर ये फाइलें शासन स्तर पर ही लटकी हुई है और पीड़ित बिना छत के घरबार छोड़कर दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। पहाड़ों की परिस्थितियों के मद्देनजर प्री फेब्रिकेटेड हट को पहले ही आपदा पीड़ितों ने लेने से इन्कार कर दिया था। अब टेंट तिरपाल तक भी उन्हें भटकना पड़ रहा है।
ये है विस्थापन का प्रस्ताव
पलेठी गांव- भूमि चयन पास ही के तोक में, धनराशि- 66.50 लाख
सरतोली गांव- पास ही के तोक में, धनराशि 77 लाख
लस्यारी गांव- पास ही के तोक में, धनराशि 18.50 लाख
छिनका चमेली- डिडोली में वन पंचायत की भूमि में धनराशि 526 लाख
फरकंडे- पास ही वन पंचायत की भूमि में धनराशि 24.50 लाख
ये है स्थिति
विस्थापन की श्रेणी में गांव- 163
पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों की संख्या- 536
आंशिक क्षतिग्रस्त भवन- 1210
बेघर परिवार- 536
पुर्नवास की स्थिति- भूमि की तलाश जारी
प्री फेब्रिकेटेड हट- एक भी नहीं
मुआवजे की स्थिति-369 लोगों को प्रथम किश्त
विस्थापन के लिए प्रक्रिया चल रही है। पांच गांवों के विस्थापन की फाइल शासन को भेजी गई है। जबकि अन्य गांवों का सर्वे कर विस्थापन के लिए भूमि चयन हो रहा हे।
नंदकिशोर जोशी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी