भारत का स्विटजरलैंड है कौसानी, सूर्योदय व सूर्यास्त का दिखता खूबसूरत नजारा
समुद्र सतह से 1890 मीटर की ऊंचाई पर बागेश्वर जिले में स्थित कौसानी से सूर्योदय व सूर्यास्त का बेहद खूबसूरत नजारा दिखता है। यहां वर्ष भर देश विदेश से पर्यटक आते हैं।
बागेश्वर, [सुरेश पांडेय]: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली व महान कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली कौसानी को बापू ने भारत के स्विटजरलैंड की संज्ञा दी थी। कौसानी में वर्ष भर देश विदेश से पर्यटक आते हैं तथा पर्वतीय क्षेत्र का आनंद उठाते हैं। समुद्र सतह से 1890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कौसानी से सूर्योदय व सूर्यास्त का बेहद खूबसूरत नजारा दिखता है। बापू ने यहीं बैठकर अनाशक्ति योग की रचना की थी, जबकि छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत ने भी कौसानी को केंद्रित कर अपनी कई रचनाएं लिखी हैं।
कौसानी की खूबियां
- सूर्योदय व सूर्यास्त का बेहद खूबसूरत नजारा
- हिमालय की बड़ी एरिया दिखने के कारण अधिकांश चोटियों के दर्शन
- जाड़ों में गुनगुनी धूप का आनंद तो गर्मियों में भीषण गर्मी से राहत
कौसानी की परेशानी
- बेहतर हिल स्टेशन होने के बाद भी सरकारी संरक्षण नहीं मिल सका।
- पर्यटन की अपार संभावना के बाद भी पर्यटन विकास नहीं हो सका।
- कौसानी पहुंचने के लिए ठीक ठाक सड़क मार्ग नहीं हैं।
- पर्याप्त सफाई, प्रकाश व्यवस्था, पार्किंग व्यवस्था नहीं है।
- गर्मी में पानी की परेशानी के कारण होटल व्यवसाय प्रभावित
कौसानी में अब तक पहुंचे पर्यटकों की संख्या
- भारतीय- 28424
- विदेशी- 116
साहसिक पर्यटन का केंद्र कपकोट
मीलों पैदल चलकर ग्लेशियरों व बर्फ से लकदक चोटियों को छूने का शौक है तो कपकोट से बेहतर जगह हो नहीं सकती है। यहां पिंडारी ग्लेशियर, सुंदरढूंगा व कफनी ग्लेशियर सहित अनेक चोटियां हैं जहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद उठाया जा सकता है। पिंडारी ग्लेशियर, सुंदरढूंगा व कफनी ग्लेशियर पहुंचने के लिए बागेश्वर बेस कैंप है। यहां से आसानी से उक्त ग्लेशियरों तक पहुंचा जा सकता है।
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चोटियों की ऊंचाई
- पिंडारी- 3660मीटर
- कफनी- 3860मीटर
- मैकतोली- 6803 मीटर
कपकोट की खासियत
- तीन ग्लेशियरों सहित कई चोटियों की क्लाइंबिंग का केंद्र
- साहसिक पर्यटन सहित धार्मिक पर्यटन, ग्रामीण परिवेश पर्यटन का केंद्र
- उच्च हिमालयी क्षेत्र में शोध के लिए भी शोध छात्रों का केंद्र
कपकोट की परेशानी
- दूरस्थ इलाका होने के कारण यातायात की दिक्कत
- सड़कों का अभाव
- जीर्ण शीर्ण हालत में सड़कें
- अधिकांश स्थानों तक पहुंचने के लिए पैदल
कपकोट पहुंचे पर्यटकों की संख्या
- भारतीय- 6498
- विदेशी- 75