जीवनदायिनी के जीवन पर संकट
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: कुमाऊं की काशी में बहने वाली जीवनदायिनी नदियां लगातार दम तोड़ते जा रही है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: कुमाऊं की काशी में बहने वाली जीवनदायिनी नदियां लगातार दम तोड़ते जा रही है। सरयू, गोमती नदियां, नालियों और सीवर के गंदे पानी से पटते जा रहे हैं। जो इन पवित्र नदियों को लगातार प्रदूषित कर रही है। अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन ये नदियां भी सरस्वती की तरह लुप्त हो जाएंगी।
जिले मुख्यालय में गोमती और सरयू नदी का संगम है। गोमती और सरयू नदी के उद्गम स्थल से लेकर जिला मुख्यालय तक कई गांव, कस्बे व नगर पड़ते है। इन जगहों पर यह जीवनदायिनी नदियां लगातार प्रदूषित होते जा रही है। जिला मुख्यालय में तो नगर का सारा सीवर और नालियों का गंदा पानी इसी नदी में जा रहा है। जब शहर से निकलने वाले सीवर व नालियों का जायजा लिया तो चौंकाने वाले ²श्य सामने आए। कुछ नालियां तो लोगों की थी। कुछ नालियां सड़क बनाते समय कार्यदायी संस्थाओं ने बनाई हुई थी। सभी की निकासी नदी में है। बार-बार होने वाले आयोजनों में लोग, सरकारी संस्थाएं, प्रशासन जल संरक्षण की मुहिम चलाता है। संकल्प लेता है लेकिन जमीनी हकीकत बहुत भयावह है।
गंदे पानी के पास से ही होती है पेयजल सप्लाई
बागेश्वर: सरयू नदी पर इन सीवर व नालियों से निकलने वाले गंदे पानी के पास से नगर को सप्लाई किए जाने वाली पेयजल लाइन है। नगरवासी भी दूषित पेयजल पीने को मजबूर है।
नगर में नही है सीवर लाइन
बागेश्वर: जिला मुख्यालय की आबादी करीब 20 हजार से ऊपर है। लेकिन यहां पर अभी तक सीवर लाइन नही बनाई गई है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर का मल मूत्र व गंदा पानी कहां जा रहा होगा। यह दूषित पानी सरयू व गोमती नदी में जा रहा है।
प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
बागेश्वर: हाईकोर्ट ने जीवनदायिनी नदी को जीवित मनुष्य का दर्जा दे दिया है। वह इसके महत्व को समझ गया है और सरकार को कड़े कदम उठाने को भी कह चुका है। लेकिन इसका कोई असर नही दिखाई दे रहा है। आज भी जीवनदायिनी नदियां अपने घर में उपेक्षित है।
-- सभी व्यापारियों, होटल व्यवसायियों से अपील की गई है वह नदियों में गंदा पानी न जाने दें। अगर इसके बाद भी कोई ऐसा करता पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं आए दिन नदियों को स्वच्छ रखने के लिए अभियान चलाए जाते है। जन जागरूकता भी की जा रही है।
-- रंजना, डीएम, बागेश्वर।