जंगल से आबादी तक आग ही आग
जागरण संवाददाता, रानीखेत : उम्मीद से उलट पहाड़ के जंगलों पर जैसे दावानल ने कहर ही बरपा दिया। एक-एक कर वन क्षेत्र दावाग्नि से तबाह होते जा रहे हैं। अब तक लपटों से बचे द्वारसौं वन पंचायत के साथ ही छावनी का बहुमूल्य जंगल भी खाक हो गया है। यहां सेना की मेहनत से 10 साल में तैयार बहुपयोगी बांज के सैकड़ों नए पौधे झुलस गए। वहीं लाखों की वन संपदा भी खाक हो गई है।
अल्मोड़ा-मजखाली हाईवे से सटा द्वारसौं वन पंचायत का शानदार जंगल दावाग्नि की भेंट चढ़ गया है। बीती रात गर्म हवा के थपेड़ों से लपटों ने विकराल रूप ले लिया। आबादी तक आग की तपिश महसूस होने पर ग्रामीणों को खुली हवा में खड़ा होना पड़ा। यही हाल कैंट के जंगलात का भी रहा। यहां दावाग्नि ने सेना की मेहनत को ही झुलसा कर रख दिया। आग से चौड़ी पत्ती प्रजाति के बहुपयोगी बांज के सैकड़ों नए पौधे जल चुके हैं। इधर घिंघारीखाल के पास सुलगी आग जल निगम दफ्तर के करीब पहुंच गई। इधर, सरोवर नगरी से ज्यादा शीतल रानीखेत भी इन दिनों मैदान की तरह तप रहा है। वनाग्नि के कारण यहां तापमान बीते वर्ष की तुलना में करीब पांच डिग्री ज्यादा यानी 36 के आसपास है। वहीं, धुएं के गुबार ने उमस इस कदर बढ़ा दी है कि लोग बेहाल हैं।
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