अटूट आस्था का केंद्र है 'कल्पवृक्ष'
:::::खासी मान्यता::::
= साक्षात शिव रूप में होती है इस वृक्ष की पूजा
= गिरि पत्ती मिलना भी माना जाता है बेहद शुभ
= एक गांठ डालने मात्र से मिलते हैं मनोवांछित फल
= हजारों वर्ष पुराने वृक्ष पर श्रद्धालुओं का लगती है भीड़
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : जिला मुख्यालय से करीब सात किमी दूर हवालबाग ब्लाक के ग्राम छानी में मौजूद एवं क्षेत्र में दुर्लभ 'कल्पवृक्ष' महज औषधीय गुणों से ही लबरेज नहीं है, बल्कि आस्था, जन विश्वास व कौतुहल का केंद्र है। वानस्पतिक नाम ओलिया कस्पीडाटा के रूप में जाना जाने वाला यह वृक्ष क्षेत्रवासियों द्वारा साक्षात शिव शक्ति के रूप में माना जाता है। इसकी जड़ पर पूजा-अर्चना कर लोग मन्नतें मांगते हैं। विश्वास है कि यहां मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धरती पर कल्पवृक्ष का समुद्र मंथन के वक्त अस्तित्व में आया। धर्म के प्रति अटूट आस्था रखने वाले लोग इस वृक्ष को साक्षात शिव रूप में पूजते हैं। यह नजारा अल्मोड़ा के निकट छानी गांव में मौजूद कल्पवृक्ष पर देखा जाता है। मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा-अर्चना से मनवांछित फल मिलता। तंत्र साधना के लिए इस जगह को श्रेष्ठ माना जाता है। संत महात्मा भी यहां पहुंचते हैं। मन्नतें लेकर श्रद्धालुओं का वर्ष भर इस वृक्ष के दर्शन व पूजा-अर्चना के लिए आना-जाना लगा रहता है। विशेष पर्वो व त्योहारों पर यहां पर खासी भीड़ रहती है। शिव रूप में खासी मान्यता होने के कारण महा शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। लोक मान्यता के अनुसार यह वृक्ष हजारों साल पुराना है। जनश्रुति के अनुसार भारत में काशी, कर्नाटक व अल्मोड़ा के ग्राम छानी में ही कल्पवृक्ष का पेड़ मौजूद है। यह फ्रांस व इटली में बहुत पाया जाता है। इसके बीजों का तेल हृदय रोगियों के लिए बेहद लाभदायी बताया गया है। हाइडेंसिटी कालेस्ट्रोल होता है। सदाबहार रहने वाले इस कल्पवृक्ष की पत्तियां इत्तफाक से ही गिरती है। कहते हैं कि किसी व्यक्ति को इसकी गिरी पत्ती मिलना बड़ा ही शुभ होता है। यदि यहां पर आने जाने की सहूलियतें हो जाए तो धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र विकसित हो सकता है।
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मन्नत मांगने की अनूठी परंपरा
अल्मोड़ा के छानी गांव में स्थित कल्पवृक्ष मन्नत पूरी करवाने की अनूठी धार्मिक परंपरा है। मान्यता के अनुसार यहां आने वाले लोग मनोकामना पूरी करने के लिए कल्पवृक्ष की टहनी पर एक धागा बांधते हैं। इसके साथ यह परंपरा भी जुड़ी है कि मुराद पूरी होने पर कल्पवृक्ष जाकर वह धागा खोलना होता है। पूजा-अर्चना करने वाले लोगों द्वारा वहीं खिचड़ी बना कर खाने की परंपरा भी है।
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कल्पवृक्ष में धार्मिक आयोजन
छानी गांव में स्थित कल्पवृक्ष में 20 जुलाई से वाल्मिकी रामायण कथा का आयोजन किया जा रहा है। यह धार्मिक आयोजन क्षेत्रीय जनता और 108 महंत कैलाश गिरी महाराज द्वारा किया जा रहा है। जिसमें कथा व्यास ग्राम थापला के कैलाश चंद्र लोहनी होंगे। तय कार्यक्रमों के अनुसार प्रात: 8 बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक पूजन व मूलपाठ होगा जबकि दिन में एक बजे से सांय 5 बजे तक कथा प्रवचन, आरती व प्रसाद वितरण होगा। आयोजन का समापन भंडारे के साथ 28 जुलाई को होगा।