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    बनारस में बनेगा रूरल वूमेन टेक्नोलॉजी पार्क

    By amal chowdhuryEdited By:
    Updated: Thu, 01 Jun 2017 08:50 AM (IST)

    इसे बनाने की जिम्मेदारी मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली मीडिया लैब एशिया को सौंपी गई है।

    बनारस में बनेगा रूरल वूमेन टेक्नोलॉजी पार्क

    वाराणसी (विजय उपाध्याय)। बनारस में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने पहल की है। इसके तहत बाबतपुर एयरपोर्ट के नजदीक बसनी में रूरल वूमेन टेक्नोलॉजी पार्क बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसे बनाने की जिम्मेदारी मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली मीडिया लैब एशिया को सौंपी गई है।

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    संबंधित अफसरों का दावा है कि यह सूबे का पहला टेक्नोलॉजी पार्क है। इसमें महिलाएं कंप्यूटर के जरिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के साथ फूड प्रोसेसिंग की भी जानकारी आसानी से पा सकेंगी। साथ ही स्थानीय हुनर को भी बढ़ावा मिल सकेगा। केंद्र सरकार की शुरू से योजना रही है कि तकनीकी शिक्षा के जरिए रोजगार उत्पन्न की जाए। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार वाराणसी में कई योजनाएं चला रही है।

    इसी कड़ी में पिछले दिनों साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अफसरों से संस्थाओं के अधिकारियों ने मिलकर टेक्नोलॉजी पार्क के लिए 90 लाख रुपये बजट का प्रस्ताव रखा। बताया गया कि उनकी खुद की जमीन है लेकिन निर्माण के लिए बजट जारी किया जाए। बाद में आकलन के बाद करीब 70 लाख रुपये के बजट की स्वीकृति दी गई। उम्मीद है कि अगले महीने से काम शुरू हो जाएगा। केंद्र में दर्जन भर से ज्यादा कमरों में साफ्टवेयर के जरिए मुफ्त तकनीकी शिक्षा दी जाएगी।

    तीन साल में 6500 को मिलेगा लाभ: योजना के तहत तीन वर्षों में करीब 6500 युवतियों को लाभ मिलेगा इसके लिए उन्हें सिर्फ पंजीकरण शुल्क देना होगा। खासकर केंद्र में ग्रामीण युवतियों को ही लाभ मिलेगा। इसके लिए किसी भी प्रदेश की युवतियां आ सकती हैं, उनके पास परिचय पत्र का होना जरूरी है।

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    यह होगा खास:

    - 550 युवतियों को इंब्रायडरी डिजाइन की ट्रेनिंग तीन वर्षों में मिलेगी।
    - 5000 को हेल्थ केयर एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा।
    - 375 को रिटेल मैनेजमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रशिक्षण दी जाएगी।
    - 750 को फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम में तीन वर्षों का प्रशिक्षण मिलेगा।

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