वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप देख भर आयी आंखें
प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों के मिलन का अद्भुत क्षण, मानों समय थम गया हो, लोगों की निगाहें बीच मंच पर ही टिक गई हों। चारों भाइयों को गले मिलते देख लीलाप्रेमियों के नयन सजल हो गए।
वाराणसी (जेएनएन)। प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों के मिलन का अद्भुत क्षण, मानों समय थम गया हो, लोगों की निगाहें बीच मंच पर ही टिक गई हों। चौदह वर्ष बाद चारों भाइयों को गले मिलते देख लाखों लीलाप्रेमियों के नयन सजल हो गए। मौका था लक्खा मेले में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली के भरत मिलाप का। श्रीचित्रकूट रामलीला कमेटी काशी द्वारा आयोजित भरत मिलाप की अद्भुत झांकी देखने के लिए नाटी इमली का भरत मिलाप मैदान, आसपास के घर पूरी तरह दर्शनार्थियों से पटे रहे।
असत्य पर सत्य की जीत, धू धूकर जले रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले
प्रसंग के अनुसार अपराह्न 3.45 बजे पुष्पक विमान पर सवार होकर प्रभु राम, लक्ष्मण व सीता अपने सेना प्रमुखों के साथ धूपचंडी स्थित रामलीला मैदान से भरत मिलाप स्थल नाटी इमली के लिए प्रस्थान किए। शाम चार बजे पुष्पक विमान लीला स्थल पर पहुंचा। उधर पवनपुत्र हनुमान से भगवान राम, लक्ष्मण व माता सीता के वापस आने की सूचना पर भरत व शत्रुघ्न अयोध्या भवन से (बड़ा गणेश) चित्रकूट सीमा (नाटी इमली मैदान) की ओर नवापुरा, डीएवी कालेज, ईश्वरगंगी होते हुए प्रस्थान किए। इस बीच लोहटिया से ही हाथी पर सवार होकर महाराज बनारस अनंत नारायण सिंह व तीन अन्य हाथियों पर उनके पुत्र समेत परिवार के अन्य सदस्य सवार होकर नाटी इमली की ओर चले।
ऐतिहासिक रामलीला मैदान में रावण के पुतलों का दहन
रास्ते में हर-हर महादेव का उद्घोष व हाथ जोड़कर लोग अपने राजा का अभिनंदन करते रहे। लीला स्थल पर पहुंचे महाराज बनारस ने सबसे पहले भगवान राम के पुष्पक विमान समेत पूरे मैदान की परिक्रमा की। रथ पर बैठे लीला के व्यवस्थापक मुकुंद उपाध्याय को स्वर्ण मुद्रा प्रदान की। इसके पश्चात जवानों ने उन्हें सलामी दी। उन्हीं की उपस्थिति में शाम 4.30 बजे अयोध्या से पहुंचे भरत व शत्रुघ्न मंच पर से बड़े भाई श्रीराम व सीता को साष्टांग दंडवत कर उनका अभिवादन करते हैं।
PICS: राम के हाथों चूर-चूर हुआ रावण का अहंकार
दूसरी ओर ठीक 4.40 बजे पुष्पक विमान पर विराजमान भगवान राम व अनुज लक्ष्मण वहां से दौड़ते हुए मंच पर आकर दोनों भाइयों से अलग-अलग गले मिलते हैं। इसके उपरांत लीला स्थल पर मौजूद श्रद्धालु बोलो राजा रामचंद्र की जय व हर-हर महादेव का घोष करते हैं। गले मिलने के बाद चारों भाई चारों दिशाओं में घूमकर भक्तों को दर्शन देते हैं। इसके पश्चात चारों भाइयों को पुष्पक विमान पर ले जाया गया, जहां भरत व शत्रुघ्न ने माता सीता को प्रणाम किया। यहां से चारों भाई पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं।
आगे-आगे गजराज पर सवार महाराज बनारस की शाही सवारी व पीछे-पीछे परंपरानुसार लाल पगड़ी बांधे सैकड़ों यादव बंधु पुष्पक विमान को कंधे पर उठाकर बड़ा गणेश स्थित अयोध्या भवन के लिए प्रस्थान करते हैं। रास्ते में छतों पर सड़क के किनारे खड़े श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर रथ पर विराजमान चारों भाइयों का दर्शन किया। नाटी इमली से ईश्वरगंगी, डीएवी कालेज, नवापुरा, लोहटिया होते हुए पुष्पक विमान अयोध्या भवन पहुंचा। यहां पर लीला व्यवस्थापक पं. मुकुंद उपाध्याय ने पंच स्वरूपों की आरती उतारी। इसी के साथ विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप लीला का विश्राम हो गया।
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