लाल के लिए ढाल माताओं का तप
वाराणसी : लोलार्क कुंड में पुत्र कामना से डुबकियों की तस्वीरें अभी जेहन में धूमिल भी न पड़ी होंगी कि
वाराणसी : लोलार्क कुंड में पुत्र कामना से डुबकियों की तस्वीरें अभी जेहन में धूमिल भी न पड़ी होंगी कि अब माताओं का तप लाल के लिए ढाल बनने जा रहा। आश्विन कृष्ण अष्टमी तद्नुसार सोमवार को अन्न-जल त्यागकर सूखते हलक से पुत्र के दीर्घायुष्य के गीत गाती माताएं जलस्थलों पर जाएंगी। देवी-देवताओं और पितरों से भी इस निमित्त मनाएंगी। इसके लिए उमड़ा हुजूम बेशक, विज्ञान-तकनीक के इस दौर में पुरखों से मिले संस्कारों की बौर के जरिए रिश्तों के प्रति सरोकार तो जगाएगा ही वृद्धाश्रमों की घनेरी होती कतारों को आईना भी दिखाएगा। 'पूत, कपूत भले हो जाए लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती' जैसी लोक प्रचलित कहावत की गवाही भी कर जाएगा।
पुत्र कल्याण व दीर्घायुष्य कामना के व्रत पर्व की तैयारियों में रविवार को महिलाओं का दिन बाजारों में बीता। सूत के लाल- पीले धागों की माला खरीदी। उसमें हर पूत के नाम से रजत या स्वर्ण चिह्न गूंथे। फल -मिष्ठान और पूजन के सामान भी सहेज लिए। हालांकि अष्टमी तिथि तो रात 7.44 बजे ही लग गई लेकिन उदयातिथि के मान के तहत जल ग्रहण कर व्रत संकल्प के लिए सभी को भोर का इंतजार रहा। व्रती महिलाएं पर्व विशेष पर अपने पुत्रों के दीर्घायुष्य, आरोग्य, बल व बुद्धि वर्धन के लिए भगवती जगदंबिका, भगवान सूर्य की आराधना करेंगी। नदी या सरोवर तट पर प्रदोष काल में सविधि पूजन कर राजा जीमुतवाहन की कथा सुनेंगी। दीप लेकर पुत्र कल्याण कामना संग घर आती हैं। इसी दिन त्रिशक्तियों में प्रमुख स्थान रखने वाली महालक्ष्मी के 16 दिनी व्रत (भाद्र शुक्ल अष्टमी से आश्विन अष्टमी) का विधिवत पूजन के बाद समापन हो जाएगा।
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खर जिउतिया यानी
अखंड निर्जला व्रत
इस व्रत को लोकाचार में खर जिउतिया नाम से जाना जाता है। आशय यह कि अखंड निर्जला व्रत रहते दूसरे दिन पारन किया जाए। जिउतिया व्रत पर्व पांच को पड़ रहा है। अष्टमी तिथि चार की रात 7.44 से पांच की रात 7.51 तक रहेगी। पारन मातृनवमी पर छह को किया जाएगा।
-पं. ऋषि द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य।
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